सत्य खबर,चण्डीगढ़।
हरियाणा में मृत शरीर सम्मान विधेयक (2023) के लागू होने में अभी देरी है। सरकार चाहती है कि लोग किसी की मौत पर शव को रख कर रोड जाम न कर सकें। इस पर पाबंदी लगाने के लिए ये विधेयक लाने की तैयारी है। हालांकि गृहमंत्री अनिल विज इस विधेयक पर आपत्ति लगा चुके हैं, इसके बाद होम डिपार्टमेंट ने इसको लेकर स्टडी शुरू कर दी है।
विज का कहना है कि ऐसे विधेयक लाने से पहले व्यावहारिक जानकारी जुटाना जरूरी है। उन्होंने कहा है कि सबसे पहले जिस राज्य में यह कानून लागू है, वहां का अध्ययन करना जरूरी है। अभी इस विधेयक में मृत शरीर के साथ विरोध प्रदर्शन करने वालों को एक साल तक की कैद और 50,000 रुपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
विधेयक में सरकार को स्थानीय अथॉरिटीज के द्वारा ऐसे शवों का अंतिम संस्कार करने का अधिकार देने का प्रस्ताव मौजूदा मसौदा विधेयक में पारित किया गया है।
10 दिन पहले गृहमंत्री को सौंपा था प्रस्ताव
गृह विभाग ने मंजूरी के लिए 10 दिनों पहले गृह मंत्री अनिल विज को विधेयक सौंपा था, लेकिन उन्होंने हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र से पहले अधिकारियों को इसपर और अधिक होमवर्क करने की सलाह दी है। विज का कहना है कि गृह विभाग को अन्य राज्यों द्वारा पारित इस तरह के बिल और कानूनों की प्रभावकारिता का पता लगाने के लिए एक अध्ययन करने का निर्देश दिया है।
राजस्थान में पास हो चुका प्रस्ताव
जुलाई में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने राजस्थान शवों का सम्मान विधेयक, 2023 पारित किया, जिसमें शवों के साथ विरोध प्रदर्शन करने वालों को जुर्माने के साथ पांच साल तक की कैद की सजा देने का प्रावधान है। यह परिवार को जल्द से जल्द दाह संस्कार के लिए उत्तरदायी बनाता है. यदि परिवार मृत शरीर का दाह संस्कार करने से इनकार करता है, तो पब्लिक अथॉरिटी अंतिम संस्कार कर सकते हैं।
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इन वजहों से लगाई विज ने आपत्ति
हरियाणा में प्रस्तावित विधेयक में अधिकारी विरोध प्रदर्शन कर रहे परिवार के सदस्यों के शव को अपने कब्जे में ले सकता है। इस विधेयक की मंजूरी से पहले अनिल विज ने दो बिंदुओं पर आपत्ति लगाई है। विज का कहना है कि विधेयक में अभी कुछ चीजें पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं। उसके लिए गृह विभाग को कहा गया है। साथ ही प्रदर्शनकारियों पर ऐसी कार्रवाई का क्या प्रभाव पड़ेगा ये जानना भी जरूरी है।
विधेयक के प्रभाव पर हो रही स्टडी
नगरपालिका अधिकारियों के पास पहले से ही अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार करने का काम है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि उन नियमों के प्रावधानों और विधेयक के प्रावधानों में कोई टकराव न हो। साथ ही, मैंने अधिकारियों से उन राज्यों में शवों को कब्जे में लेने की सरकारी कार्रवाई के प्रभाव का अध्ययन करने को कहा है, जहां यह (कानून) पहले ही पारित हो चुका है. अगर हमने इस प्रभाव का अध्ययन नहीं किया तो कल हमें प्रदर्शनकारियों की ऐसी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ सकता है जो कोई भी सरकार नहीं देखना चाहेगी।