सत्य खबर, गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज :
Big game in the vehicle parking of Gurugram city Andher Nagari Chaupat Raja, Taka Ser Bhaji Taka Ser Khaja. Big scam worth billions. Know what is the matter.
वैसे तो गुरुग्राम में नगर निगम में आए दिन किसी न किसी क्षेत्र से कोई ना कोई मामला उजागर होता ही रहता है, चाहे भ्रष्टाचार का मामला हो, कमीशन खोरी का, पद का दुरुपयोग कर दबंगी दिखाने का हो,रिश्वत मांगने का हो या भ्रष्ट अधिकारियों की मिली भगत से सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा का ही क्यों ना हो। आज एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसपर कई पुरानी कहावतें बिल्कुल सटीक बैठ रही है। जैसे कि घर में खाने के दाने नहीं अम्मा चली भुनाने, अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा सीएम विंडो के माध्यम से बताया गया है कि उन्होंने कमान सराय क्षेत्र के मोटेशन और ततिमे से संबंधित जो भी कार्य कमान सराय को नगर निगम के नाम चढ़ाने के लिए किए हैं, उनसे संबंधित कोई भी कागजात उनके पास उपलब्ध नहीं है। वहीं इस मामले में नगर निगम पहले ही मलकियत के कागजात गुम होने की FIR गुरुग्राम थाना शहर में दर्ज करा चुका है। वहीं इस मामले को लेकर शहरवासी आरटीआई एक्टिविस्ट
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जैनेंद्र जैन ने सीएम विंडो पर दरखास्त लगाई तब राजस्व विभाग के तहसीलदार गुरुग्राम द्वारा सीएम विंडो एटीआर पर बताया गया की ततिमा काटते समय मौके पर पैमाइश नहीं की गई। जहां ततिमा काटा गया वहां पर पुरानी आबादी के पुराने मकान बने हुए थे सन 2002 में उपयुक्त गुरुग्राम द्वारा जारी पत्र जिसके माध्यम से इंतकाल नगर परिषद के नाम काटा गया वह राजस्व रिकॉर्ड में मौजूद नहीं है।
इस पूरे मामले में गहरी साजिश प्रतीत हो रही है। सदर बाजार की भीड़भाड़ कम करने के नाम पर इस क्षेत्र में नगर निगम करीब दो सौ करोड रुपए की लागत से वाहन पार्किंग कम शॉपिंग कांपलेक्स सपोर्ट कांपलेक्स एक ही जगह पर बनाने की योजना पिछले कई सालों से बना रहा है। वाहन पार्किंग बनने के लिए एक नेता के चहेते को ठेका भी दे दिया था। जिस पर कुछ खुदाई का काम भी शुरू हुआ था मगर कुछ ही समय में मामला आधार में लटक गया और ठेकेदार काम छोड़कर भाग गया। अब सवाल यह खड़ा होता है कि जब नगर निगम के पास कमान सराय की जमीन की मलकियत के कागजात ही नहीं है और ना ही राजस्व विभाग में इस तरह का कोई कागज़ात है। तो नगर निगम वहां पर अपना हक किसी आधार पर जता रहा है तथा वर्षों से वहां रह रहे निवासियों को 408 के तहत नोटिस देकर परेशान कर रहा है।
बता दे कि इस प्रकार का यह नगर निगम, जिला प्रशासन सहित प्रदेश सरकार में पहला ही मामला नहीं है इससे पहले भी इस तरह के काफी मामले उजागर हो चुके हैं जिस पर प्रदेश सरकार मौन बनी हुई है। वहीं सूत्रों से यह भी जानकारी मिली है कि निगम की फाइल गुम होना एक बहुत बड़े महा घोटाले को दबाना है। जिसमें कई भ्रष्टाचारी निगम अधिकारियों के नाम उजागर हो सकते थे।