bjp distance from bhavya bishnoi election
सत्यखबर, आदमपुर। आदमपुर विधानसभा चुनाव में क्या हो रहा है। किधर हवा बह रही है कौन मजबूत है कौन कमजोर है। वोटर का मिजाज किधर है। कौन सी बात है जो वोटर को बेचैन कर ही है। ये वो सवाल है जिनका जवाब आपके साथ हम भी ढूढ़ रहे है। इसमें कोई दो राय नही की आदमपुर भजनलाल परिवार का गढ़ रहा है। आज तक ये परिवार यहा से चुनाव नही हारा है। पहले भजनलाल फिर कुलदीप बिश्नोई को आदमपुर की जनता ने भरपूर समर्थन दिया है।
लेकिन इस बार के चुनाव में जो एक बात नज़र आ रही है वो है कुलदीप बिश्नोई के साथ आदमपुर की जनता भी थकी हुई महसूस कर रही है जो जोश कुलदीप बिश्नोई के साथ पहले दिखाई देता था वो इस बार गायब नज़र आ रहा है। जैसे जनता को भी लग रहा है कि जीते कोई भी आदमपुर (adampur) का तो भला नही होना है। सबसे बड़ी बात जो नज़र आ रही है वो है कुलदीप बिश्नोई आदमपुर विंधानसभा चुनाव में अकेले नज़र आ रहे है। अब ऐसा क्यों है समझ से परे है। क्या उन्होनें बीजेपी आलाकमान से वादा किया है कि वो ये चुनाव अपने दम पर जितना चाहते है। क्योंकि जिस तरह से बीजेपी की मशीनरी बरोदा और ऐलनाबाद (ellanabad) इलेक्शन में लगी थी वैसा कुछ आदमपुर में नज़र नही आ रहा है। bjp distance from bhavya bishnoi election
बरोदा चुनाव में तो बीजेपी ने एक हफ्ते में पूरे हल्के की सड़क तक बनवा दी थी। वही आदमपुर में सरकार ने जो घोषणा की वही काम अभितक शुरू नही हुए। दूसरी तरफ जहा कांग्रेस को इस चुनाव में कमजोर समझा जा रहा था वहाँ गजब की मजबूती नज़र आ रही है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा (bhupender singh hooda) और दीपेंदर हुड्डा (Deepender hooda) रणनीति ने चुनाव को रोचक बना दिया है। कुलदीप बिश्नोई (kuldeep bisnoi) जहा अकेले दिख रहे है वही उनमें आत्मविश्वास की भी कमी नज़र आ रही है। कुलदीप बिश्नोई में आत्मविश्वास की कमी इसलिए भी नज़र आ रही है वो जहा भी जा रहे है बेटे भव्या को साथ लेकर ही जाते है। जैसे उन्हें भव्या की नेतागिरी में भरोसा कम हो ।
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वही जयप्रकाश आत्मविश्वास से भरा हुआ है। वैसे भी जेपी सियासत का पुराना खिलाड़ी है। चुनावी सांग करने में उसे महारत हासिल है। लोगो को कैसे रिझाते है ये बात जयप्रकाश को बताने की जरूरत नही है। वही हुड्डा गुट ने कुलदीप बिश्नोई के खिलाफ तगड़ी प्लानिंग की है। कुलदीप बिश्नोई को घेरने के लिए कांग्रेस ने लोकल लीडरशिप पर ज्यादा भरोसा दिखाया है। जैसे कुलबीर बवनिवाल, करणसिंह रानौलिया,अशोक मँगालिवाला, प्रदीप बेनीवाल, संपत सिंह एक एक वोटर पर निगाह रखे है। हुए है।जिससे चुनाव कुलदीप के लिए मुश्किल होता जा रहा है। वही कुलदीप बिश्नोई के साथ बीजेपी के एकाध नेता को छोड़ दे तो कुलदीप ने चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ दिया है। bjp distance from bhavya bishnoi election
जिससे वो आदमपुर में अकेले नज़र आ रहे है। दिन पर दिन आदमपुर का चुनाव किस कदर बदल रहा है इसकी बानगी एक बात से और लगती है। जहाँ कुलदीप बिश्नोई का परिवार आदमपुर चुनाव 20 -25 हजार वोट से आसानी से जीत जाया करता था। वही आज की तारीख में सट्टा बाजार कुलदीप बिश्नोई को मात्र 10 हजार से आगे बता रहा है ऐसा तब है जब आदमपुर विंधानसभा का चुनाव प्रचार अभी शुरू ही हुआ है। जिस तरह कांग्रेस जयप्रकाश के पीछे ताकत लगा रही है चुनाव परिणाम चौकाने वाले हो सकते है।
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