Congress government in Rajasthan depends on CP Joshi
सत्य खबर, नई दिल्ली । मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष बन चुके हैं। इसी के साथ राजस्थान में चल रहे सियासी ड्रामे को लेकर सभी की निगाह अब हाईकमान पर टिक गई है। उम्मीद की जा रही है कि राजस्थान के इस सियासी संकट पर अब हाईकमान की ओर से कोई निर्णय आएगा। मगर इन सबके बीच संवैधानिक रूप से राजस्थान का सियासी संकट विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी के निर्णय पर टिका हुआ है।
पिछले दिनों सियासी बवाल के समय कांग्रेस के 91 विधायकों ने स्पीकर जोशी को इस्तीफे सौंप दिए थे। इस्तीफों को लेकर अभी तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है। ऐसे में राजस्थान कांग्रेस की राजनीति में एक बार फिर जोशी महत्वपूर्ण हो गए हैं।Congress government in Rajasthan depends on CP Joshi
कभी सीएम के प्रबल दावेदार रहे सीपी जोशी 2014 के बाद से राजस्थान की राजनीति में फ्रंट लाइन से बाहर हो गए थे। मगर अब एक बार फिर राजस्थान कांग्रेस के सियासी संकट का रिमोट उनके हाथ में आ गया है। सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के दावे अलग-अलग हैं। मगर इस वक्त सीपी जोशी दोनों के लिए महत्वपूर्ण बने हुए हैं।
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यही वजह है कि सीएम गहलोत लगातार इस्तीफों के मामले को लेकर गेंद सीपी जोशी के पाले में डालते रहे हैं। एक दिन पहले गुरुवार को भी गहलोत ने मीडिया से कहा कि इस्तीफों को लेकर हम लोग पिक्चर में नहीं हैं। ये काम स्पीकर का है। वो प्रक्रिया अनुसार निर्णय करेंगे। वहीं पायलट का भी पिछले कुछ समय में जोशी को लेकर कोई बयान सामने नहीं आया है।
2014 तक बेहद महत्वपूर्ण थे सीपी जोशी
यूपीए-2 में सीपी जोशी केंद्रीय मंत्री रहे थे। उनके पास महत्वपूर्ण विभाग थे। 2008 में 1 वोट से हारने से पहले जोशी कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष थे। इससे पहले वे राजस्थान सरकार में मंत्री भी रहे थे। 2013 में कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें एआईसीसी महासचिव भी बनाया था। 2018 तक वे इस पद पर रहे। इस दौरान उन्हें कई राज्यों का प्रभारी भी बनाया गया था।
2014 के बाद बदले हालात
2014 के बाद पश्चिम बंगाल, असम सहित नॉर्थ ईस्ट के कई राज्यों का जोशी को प्रभारी बनाया गया। मगर प्रभारी रहते वे कांग्रेस को मजबूत नहीं कर पाए। उनके बिहार का प्रभारी रहते भी कई विवाद सामने आए। उनके रहते असम से हिमंता बिस्वा सरमा पार्टी छोड़कर चले गए। वहीं बिहार में नीतीश कुमार ने महागठबंधन से नाता तोड़ा। इसके बाद जोशी के कई बयान ऐसे भी आए जिनसे राहुल गांधी सहित हाईकमान उनसे दूर होता चला गया।
यही वजह रही कि 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद पहले मंत्रिमंडल गठन में सीपी जोशी का नाम नहीं था। बाद में उन्हें विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया। तब से जोशी राजस्थान की राजनीति में ज्यादा हाइप नहीं रहे। मगर अब एक बार फिर राजस्थान की राजनीति में जोशी फिर महत्वपूर्ण हो गए हैं। इन हालातों में सीपी जोशी की चुप्पी और उनका निर्णय बेहद अहम है। ऐसे में जिस दिन ये चुप्पी टूटेगी उस दिन राजस्थान में कई समीकरण बदलते दिख सकते हैं।Congress government in Rajasthan depends on CP Joshi
सियासत में रुचि रखने वालों को सीपी की चुप्पी चुभ रही है
पूरे मामले पर सीपी जोशी की चुप्पी अब आम लोगों को चुभने लगी है। आम कांग्रेस कार्यकर्ता जहां सीपी के इस व्यवहार को गहलोत-पायलट गुट के लिए नफा-नुकसान के रूप में तौल रहा है। वहीं सियासत में रुचि रखने वालों को सीपी का यह रूप रहस्यमयी महसूस हो रहा है। 25 सितंबर के बाद करीब एक महीना बीतने को है, लेकिन सीपी ने अभी तक इस्तीफों को लेकर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है। वे न तो यह कह रहे हैं कि उनके पास कितने इस्तीफे आए और न यह बता रहे कि जो इस्तीफे उनको मिले उनका वे क्या कर रहे हैं?
भास्कर ने उनसे जब भी पूछा वे या तो मिलने से बचते रहे या जवाब देने की बजाय चुप्पी साधे रहे। वे बस इतना जरूर बोले-बीजेपी के डेलिगेशन ने मुझे इस्तीफों को लेकर कार्रवाई के लिए ज्ञापन दिया है। जब उनसे पूछा गया कि वे क्या कार्रवाई करेंगे? तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
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