सत्य खबर,गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज । Discussions intensified over municipal elections
गुरुग्राम में इन दिनों सर्वाधिक नागरिकों में निगम चुनाव को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। जबकि आधिकारिक तौर पर निगम चुनाव की अभी तक कोई घोषणा नहीं हुई है। जिसकी चर्चाएं पार्षदों का कार्यकाल खत्म होने के बाद सही गत वर्ष से चल रही है। फिर चर्चा चली मार्च-अप्रैल में चुनाव अवश्य संपन्न हो जाएंगे। लेकिन अभी तक भी निकट भविष्य में निगम चुनाव को लेकर असमंजस बना हुआ है। सरकार ने एवं कमेटी की नई लिस्ट भी जारी की है। अभी तक सांसद के चहेतों को सदस्य बनाया गया है।सरकार की ओर से भी ऐसे संकेत मिले थे और भाजपा ने प्रभारी भी नियुक्त कर दिए थे परंतु अब लगता है कि चुनाव में अभी भी काफी समय लगेगा, क्योंकि कल ही सरकार ने वार्डबंदी की नई समिति बनाई है। वह काम करेगी, वार्डबंदी होगी, उस पर आपत्तियां मांगी जाएंगी। भाजपा की ओर से भी कहा जा रहा है कि निगम चुनाव के लिए पन्ना प्रमुखों की नियुक्ति अप्रैल माह में होगी। अर्थात वह भी मान रहे हैं कि चुनाव अप्रैल के बाद ही होंगे। खैर, यह सवाल तो चलता ही रहेगा कि चुनाव कब होंगे, जब तक चुनाव की घोषणा नहीं हो जाती परंतु चुनाव लडऩे के इच्छुक अभी से पूर्ण तैयारियों में लग गए हैं। जहां तक अभी दिखाई दे रहा है कि चुनाव लडऩे वालों में सैकड़ों नाम भाजपा कार्यकर्ताओं के ही हैं। कुछ नाम आप कार्यकर्ताओं के भी निकलकर आ रहे हैं परंतु कांग्रेस की ओर से अभी इस मामले में चुप्पी ही नजर आ रही है।
अत: हम भाजपा की ही बात करेंगे। भाजपा में चुनाव लडऩे वालों की फेहरिस्त बहुत लंबी है और मेयर चुनाव लडऩे वालों की ध्यान करें तो अब तक दर्जन से अधिक नाम तो चर्चा में हैं । जिनमें पंजाबी यशपाल, पूर्व पार्षद पति राकेश यादव, कांग्रेसी नेता गजे सिंह कब लाना, राजेश यादव, बोधराज सीकरी,उषा प्रियदर्शनी, सुमन दहिया, कुसुम लता,लेकिन भाजपा के सूत्रों से ज्ञात हो रहा है कि असली खिलाड़ी तो अभी मैदान में आए ही नहीं है केवल मौन रह कर तमाशा देख रहे हैं। क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि अभी चुनाव में भागदौड़ करना बेकार है। अत: अपना नाम गुप्त रखें ताकि विपक्षी उम्मीदवारों को उनकी प्रयासों के बारे में ज्यादा पता ना लग सके। जबकि वे अंदरूनी अपने आकाओं के लगातार जी हजूरी करने में जुटे हुए हैं। जिनमें कुछ दरवाजों के नाम हैं मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़, केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य डॉ. सुधा यादव और इनके अतिरिक्त कुछ लोग केंद्रीय मंत्रीमंडल के मंत्रियों के संपर्क में भी हैं। मुख्यमंत्री की ओर देखने वाले पटौदी के महाराज धर्मदेव की ओर भी निहार रहे हैं। इनके अतिरिक्त अनेक पार्षद की टिकट के इच्छुक विधायक सुधीर सिंगला, विधायक सत्यप्रकाश जरावता एवं जिला अध्यक्ष गार्गी कक्कड़ से भी आशा रखे हुए हैं। ऐसे में लगता है कि मामला अति गंभीर है।
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अभी हाल ही में जिला परिषद के चुनाव हुए थे। मुंडे भी काफी टिकटों को लेकर खींचातानी हुई थी। उनके परिणाम के बाद भाजपा की ओर से ही ब्यान आया था कि हमने कुछ टिकटें गलत दे दी थी, जिसमें भाजपा की हार हुई। ऐसा ही कुछ यहां भी होता दिखाई दे रहा है, क्योंकि कुछ उम्मीदवारों से बात हुई तो उनका कहना था कि टिकट न मिली तो भी कोई बात नहीं, चुनाव तो हम लड़ेंगे ही और जीतने पर भाजपा अपने आप अपने साथ मिला लेगी। इन स्थितियों को देखकर ऐसा आभास होता है कि इन चुनावों में टिकट वितरण के पश्चात टिकट न मिलने वाले अनेक भाजपाई ही भाजपा उम्मीदवारों के प्रतिद्वंद्वी होंगे। यही स्थिति भाजपा संगठन की पोल खोलेगी, ऐसा आभास है। जिसमें गुरुग्राम नगर निगम में आप पार्टी के डॉक्टर सुशील गुप्ता व बीजेपी के डॉक्टर कमल गुप्ता की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है जो आए दिन गुरुग्राम में दस्तक दे वोटरों का मन टटोल रहे हैं। वही जजपा के विगत नेताओं की निगम चुनाव को लेकर अपनी निगाहें टिकाए हुए हैं जिसके चलते कई बैठकें हो चुकी है। लेकिन इन सबके चलते भी कांग्रेश पार्टी भी अपने आप को सबसे ज्यादा ताकतवर मानकर चल रही है।
रविवार को भी सेक्टर 21 में आम आदमी पार्टी की जनसभा हुई। वही पूर्व पार्षद प्रवीण लता ने भी साउथ सिटी में अपना दमखम दिखाया और पालम विहार सेक्टर 23 में पंजाबी नेता ने डॉक्टर का कैंप लगाकर वोटरों की सहानुभूति लूटनी चाही । शनिवार को भी निगम के कई वार्ड में होली मिलन समारोह सहित कई धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। अब देखना यह होगा कि निगम चुनाव में जो पार्टी बाजी मारती है वहीं 2024 के चुनाव में अपना दमखम दिखा सकती है। जो भविष्य के गर्भ में छिपा हुआ है। वही निगम के कई सीनियर सिटीजन वरिष्ठ नागरिक अधिकारियों व बड़ी पार्टियों के नेताओं को ट्वीट कर यह जानकारी दे चुके हैं कि किसी भी विवादित या आरोपी पार्षद व कार्यकर्ता नेता को कोई भी पार्टी अपना टिकट ना दें। हालांकि धनबल के चलते कुछ भी संभव हो सकता है। Discussions intensified over municipal elections
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