सत्य खबर । नई दिल्ली
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन लगातार जारी है। केंद्र सरकार पर नए कृषि कानूनों को वापस लेने का दबाव बनाने के लिए किसानों ने अब गांधीगिरी अपनाने का फैसला किया। देशभर में सभी किसान सोमवार को सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक उपवास रखेंगे। साथ ही सभी जिला मुख्यालय पर धरना देंगे।
राजधानी के आसपास के क्षेत्रों में प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओ ने रविवार को बैठक की। बैठक में तय किया गया कि किसान सिंधु, टीकरी, पलवल, गाजीपुर सहित सभी नाको पर अनशन पर बैठेंगे। बैठक के बाद किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि हमारा रुख स्पष्ट है, हम चाहते हैं कि तीनों कृषि कानूनों को फौरन निरस्त किया जाए। इस आंदोलन में भाग लेने वाले सभी किसान यूनियन एक साथ हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद सोमवार को प्रेस कांफ्रेस में गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि किसान संगठन की स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है। वह कृषि कानून को वापस करने की अपनी मांग पर कायम है। सरकार से इसपर कोई भी बातचीत करना चाहती है तो उसके लिए दरवाजे खुले हुए है। यह जब तक नहीं होगा हमारा किसान आंदोलन शांतिपूर्वक चलता रहेगा। उन्होंने किसान संगठनों में मतभेद की खबरों को पूरी तरह से खारिज भी किया है।
बैठक में शामिल शिव कुमार सिंह कक्का ने कहा कि मोर्चा ने जो फैसला लिया है आंदोलन में शामिल किसान उसके साथ है। किसान संगठन के लोग 14 दिसंबर को अनशन करेंगे। वह वहीं करेंगे जहां पर ही धरना दे रहे है। इसके साथ देशभर में जिला मुख्यालयों का घेराव किया जाएगा। वहां पर संगठन के लोग जिलाधिकारी को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौपेंगे। भाजपा मंत्रियों व नेताओं के घेराव को फिलहाल हमने टाल दिया है। उन्होंने कहा कि आगे की रणनीति पर 15 दिसंबर की बैठक में बात की जाएगी।
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि दिल्ली के लिए बड़ी संख्या में किसान कूच कर रहे है। उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान से किसान आ रहे है। मगर उन्हें जगह-जगह रोका जा रहा है। उत्तराखंड के किसानों को रामपुर में आगे आने से रोका जा रहा है। हरियाणा-यूपी बार्डर के किसानों को मुश्किल आ रही है। पलवल, होडल, रेवाड़ी पर किसानों को रोका जा रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा ने अपील की है कि किसान जिन्हें दिल्ली आने से रोका जा रहा है। उन्हें जहां रोका जा रहा है वहीं पर धरना देने की अपील की है।
संयुक्त किसान मोर्चा किसी भी तरह के फूट से इंकार किया है। उन्होंने कहा कि जो लोग केंद्र के साथ बैठक कर रहे है। केंद्र सरकार का धन्यवाद कर रहे है वह हमारे किसान संगठनों के साथ नहीं है। उन्होंने कहा कि जो भी केंद्र सरकार के साथ बैठक किया है वह किसान नहीं व्यापारी है। चिल्ली बॉर्डर पर बैठे बीकेयू भानू संगठन इस आंदोलन का हिस्सा नहीं है। इसी तरह हरियाणा के किसान नेता अतर जिन्होंने केंद्र सरकार की तारीफ की थी, उन्हें भी संगठन नहीं होने की बात कही है।
पश्चिम यूपी में भाकियू का सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करेंगे। भाकियू नेताओं ने इसके लिए रणनीति तय की है। उधर जिला प्रशासन और पुलिस ने इसको लेकर अलर्ट है। शांतिपूर्ण आंदोलन का ऐलान है पर इसके बाद भी सतर्कता है। कोशिश यही है कि कहीं किसी तरह की टकराव न होने पाए। शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन चले। भाकियू असली ने जिला मुख्यालयो के अलावा तहसीलों में जहां सहूलियत हो वहां प्रदर्शन होंगे। भाकियू असली के राष्ट्रीय अध्यक्ष हरपाल सिंह ने बताया कि किसान अब अडिग हैं।
बार्डर पर लगातार आंदोलन में शामिल अन्य किसान संगठनों ने भी कमर कस ली है। अब सरकार से जंग आरपार की होगी। उन्होंने कहा कि सोमवार को देश भर में प्रस्तावित आंदोलन जिला मुख्यालयों पर होंगे। कहीं अगर किसान जिला मुख्यालय पर नहीं पहुंचेंगे तो अपनी तहसील में प्रदर्शन करेंगे।
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