Increased demand for Jhajjar lamp
एक कहावत है कि शहर के अंधेरे को इस चिराग काफी है,सौ चिराग जलते है एक चिराग जलाने से। एहतिशाम अख्तर द्वारा कही गई यह बात हर बार दिपावली पर या फिर मंदिर और घरों में की जाने वाली पाठ पूजा पर बिल्कुल सटिक बैठती है। मौका यदि दीपावली पर्व का हो तो आम आदमी और खासकर हिंदुओं में चिराग की रोशनी के प्रति प्रेम अपने आप उमड़ पड़ता है। झज्जर में भी इसी दीपावली पर्व को रोशन करने के लिए इन दिनों कुम्हार समाज द्वारा अलग-अलग डिजाईन के दीयों को तैयार कर दीपावली को रोशन करने की तैयारी की गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मेक इन इंडिया के नारे को भी कुम्हार द्वारा बनाए गए यह चिराग साकार कर रहे है। Increased demand for Jhajjar lamp
सत्य खबर के संवाददाता कुम्हार परिवारों के बीच पहुंचा जोकि पिछली चार पीढिय़ों से मिट्टी के बर्तन और दीयों के बनाने के काम में लगा हुआ है। इनका कहना था कि पूर्व की भांति इस बार भी उन द्वारा बनाए गए चिराग देश के महानगरों को रोशन करने वाले है। उनका कहना था कि वैसे तो काफी समय से ही उनके मौहल्ले के परिवारों द्वारा बनाए गए। दीये हर बार दीपापवली पर्व पर मुम्बई, गुजरात, पूणा, राजस्थान और दिल्ली जाते है। लेकिन इस बार उनके यहां इन महानगरों में दियों को भेजने की डिमांड़ बढ़ी है।
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इनके द्वारा साधारण दियों के साथ-साथ विभिन्न डिजाईन के भी दिए तैयार किए गए है। दो दर्जन गाडिय़ां दीयों की भरकर इन महानगरो में भेजी गई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मेक इन इंडिया के नारे की वजह से लोगों को रूझान चाईनीज की तरफ से घटकर वापिस मिट्टी के दीयों की तरफ बढ़ा है।पहले उन्हें इनकी बिक्री के लिए काफी मशक्कत करनी होती थी। लेकिन अब डिमांड ज्यादा बढऩे की वजह से वह आर्डर पूरे हीं नही कर पाते है। Increased demand for Jhajjar lamp
झज्जर से जगदीप राज्यान की रिपोर्ट
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