Jack became the richest person in China
सत्य खबर , नई दिल्ली। चीन के सबसे अमीर और दिग्गज कारोबारी रहे जैक मा एक बार फिर चर्चा में हैं. मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने चीन को छोड़कर जापान को अपना ठिकाना बना दिया है. उन्हें जापान में परिवार के साथ देखा गया है. चीन की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स वेबसाइट अलीबाबा के फाउंडर रहे जैक मा ने करीब 4 साल पहले रिटायरमेंट ले लिया था और बतौर मोटिवेशनल स्पीकर स्पीच दे रहे थे. दो साल पहले चीनी सरकार ने पर उन पर देश से जुड़े नियमों को तोड़ने और कारोबार में अंधाधुंध बढ़ोतरी करने के आरोप लगाए थे. उनके नजरबंद किए जाने की भी खबरें आई थीं. पिछले दाे सालों में उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर कम ही देखा गया है.
जैक मा ऐसे दौर से भी गुजरे हैं जब उन्हें हर तरफ रिजेक्ट किया जा रहा था. नौकरी के लिए दर-दर भटक रहे थे. जानिए जैक मा के एक आम इंसान से अरबपति का सफर कैसे तय किया और चीन सरकार से विवाद की पूरी कहानी क्या है…
गणित में 120 में से 1 अंक मिला
जैक का जन्म 10 सितम्बर 1964 को चीन के एक छोटे से गांव में हुआ. उनके माता-पिता संगीत से जुड़े कार्यक्रमों से पैसा कमाते थे. बचपन से जैक मा अंग्रेजी सीखना चाहते थे. इसके लिए वो साइकिल से हॉन्गझाउ इंटरनेशनल होटल जाते थे. वहां आने वाले विदेशियों से टूटी-फूटी अंग्रेजी में बात करते थे. धीरे-धीरे उन्होंने इस पर पकड़ बनाई और विदेशी लोगों के लिए टूरिस्ट गाइड बन गए.Jack became the richest person in China
जैक मा को गणित से जितना डर लगता था उतना ही लगाव अंग्रेजी से था. यही कारण था कि कॉलेज के एंट्रेंस एगजाम में 120 में से मात्र 1 नम्बर मिला था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और इतना एक्सपर्ट हो गए कि 9 साल तक उन्होंने एक इंस्टीट्यूट में अंग्रेजी शिक्षक के तौर पर काम किया.
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30 कंपनियों ने रिजेक्ट किया
जैक मा ने करीब 30 बार अलग-अलग कंपनियों ने नौकरी के लिए आवेदन किया, लेकिन हर बार रिजेक्ट हुए. चीन में जब अमेरिकी ब्रैंड केएफसी की शुरुआत हुई तो 24 लोगों ने आवेदन किया, इसमें से 23 लोगों का चयन हुआ और अकेले जैक मा को रिजेक्शन झेलना पड़ा.
इंटरनेट की ताकत से प्रभावित हुए
जैक मा ने पहली बार 1994 में इंटरनेट के बारे में सुना और 1995 में अपने दोस्तों की मदद से अमेरिका गए. वहां इंटरनेट को सीखा और समझा. जैक मा वापस आए और चीन की जानकारी देने वाली एक वेबसाइट बनाई. इसके बाद उन्हें सैकड़ों ईमेल आने लगे. इस तरह जैक ने इंटरनेट की ताकत को समझा. इसके बाद उन्होंने दोस्तों के साथ मिलकर कंपनियों के लिए वेबसाइट बनाने का काम शुरू किया.
यही से उन्हें अपनी एक वेबसाइट बनाने का आइडिया मिला, लेकिन वो इसके लिए कुछ अलग नाम की तलाश में थे. एक दिन वो सैनफ्रांसिस्को की कॉफी शॉप में गए और उन्होंने कॉफी सर्व करने वाली वेट्रेस से पूछा कि अलीबाबा नाम सुनकर उनके दिमाग में कौन सी बात आती है. महिला ने कहा, ओपन सीसेम यानी खुल जा सिम-सिम. जैक मा पहले से ही अलीबाबा की कहानी को पसंद करते थे. इस तरह उन्हें अपनी वेबसाइट के लिए नाम मिला.
ऐसे शुरू हुई अलीबाबा डॉट कॉम
90 के दशक में उन्होंने इंटरनेट क्रांति को देखा और दोस्तों के साथ मिलकर कारोबार शुरू करने की तैयारी की. दोस्तों के जरिए 60 हजार डॉलर की राशि जुटाकर ऑनलाइन बिजनेस शुरू किया और वेबसाइट को नाम दिया अलीबाबा डॉट कॉम. यह उस दौर की बात है जब चीन में केवल 1 फीसदी लोग ही इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे थे.
जैक मा का कहना था कि सामान की कीमतों पर कॉम्पिटीशन मत करो बल्कि इससे जुड़ी सेवाओं और इनोवेशन के जरिए कॉम्पिटीशन को आगे बढ़ाओ. इसी सोच के कारण अलीबाबा डॉट काम दायरा तेजी से बढ़ा और दुनियाभर में फेमस हुई. इसने जैक मा को अमीरों की फेहरिस्त में लाकर खड़ा कर दिया.Jack became the richest person in China
उस मीटिंग की कहानी जब सब कुछ बदल गया
तेजी से आगे बढ़ते जैक मा ने कई बार चीन के फाइनेंशियल सिस्टम की खामियों की खुलेआम आलोचना की. इतना ही नहीं, चीनी कारोबारियों के बिजनेस में चीनी सरकार के दखल पर भी सवाल उठाए. चीनी सरकार से तनातनी के बाद भी जैक कारोबार करते रहे, लेकिन 2020 में हुई एक मीटिंग के बाद हाल बिगड़े. 24 अक्टूबर 2020 को चीन में एक मीटिंग हुई. जिसमें राजनीति से लेकर देश की अर्थव्यवस्था तक से जुड़े दिग्गज पहुंचे. इस मीटिंग में जैक ने चीनी बैंकों की घोर आलोचना की. उन्होंने चीनी नियमों को इंसान की तरक्की का सबसे बड़ा रोड़ा बताया. वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में यह बताया गया कि कैसे जैक मा की बातों से चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग खफा हुए.
कंपनी के IPO पर रोक लगाई गई
चीनी राष्ट्रपति की नाराजगी के बाद जैक मा लम्बे समय गायब रहे. यह खबर दुनिया की सुर्खियां बनी. 2020 में उनकी कंपनी एंट ग्रुप के 2.7 लाख करोड़ के IPO पर रोक लगा दी गई. चीनी सरकार ने एंटी ट्रस्ट कानून बनाकर जैक की कंपनी अलीबाबा के खिलाफ जांच शुरू कर दी. नजीजा कंपनी के मार्केट कैप में 10 लाख करोड़ से अधिक की गिरावट दर्ज की गई. इसके बाद गिरावट का ग्राफ बढ़ता रहा.
जैक मा को सबक सिखाने के लिए चीनी सरकार ने कई नियमों में बदलाव किए जिसका फायदा उठाकर इनकी कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की गई. इसके बाद से जैक मा एक लो प्रोाफाइल जी रहे हैं. अब चर्चा है कि वो पूरी तरह से चीन को छोड़कर जापान को अपना परमानेंट ठिकाना बना चुके हैं.
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