full night meeting for sarpanch agreement
सत्य खबर ,गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज । गुरुग्राम के गांव रिठौज में आखिरकार सरपंच पद पर सर्वसम्मति से अपनी परम्परा को कायम रखने के लिए युवाओं समेत ग्रामीणों की एकजुटता की जीत हुई। पिछले 15 दिन से सरपंच के चुनाव को लेकर चला आ रहा गतिरोध गुरुवार देर रात करीब चार घंटे तक चली पंचायत में दूर करते हुए सरपंच पद पर सहमति बना ली। रिठौज गांव में 13 प्रत्याशियों में से एक का चुनाव कर सहमति बनाने के लिए जिम्मेवारी अध्यक्ष समेत 19 लोगों की कमेटी को सौंपी गई, जिसके बाद कैप्टन रामबीर को सर्वसम्मति से सरपंच चुन लिया गया। वहीं इस सर्वसम्मति का श्रेय बाबा भूमिया को दिया गया।full night meeting for sarpanch agreement
गुर्जर बाहुल्य गांव रिठौज में वर्ष 1977 के बाद से सरपंच पद के लिए मतदान नहीं हुआ है। लेकिन इस बार नामांकन वापसी के अंतिम दिन 31 अक्टूबर तक सरपंच पर सर्वसम्मति से नहीं बनने से 17 प्रत्याशी मैदान में उतर गए थे। तीन दादाओं के इस गांव में हर बार अलग-अलग दादाओं के परिवार से सरपंच सर्वसम्मति से चुन लिया जाता था। रिठौज गांव में दादा गुर्जर, दादा सैय्या व दादा भूरा परिवार रहते हैं। इस बार दादा गुर्जर के परिवार से सरपंच चुना जाना था। लेकिन पूरे गांव से 17 प्रत्याशी मैदान में थे, जिनमें से 13 प्रत्याशी सबसे कम मतदाता वाले दादा गुर्जर परिवार से थे, जबकि चार प्रत्याशी दादा सैय्या व दादा भूरा परिवार से थे। लेकिन गुरुवार को गतिरोध को खत्म करने के लिए सभी प्रत्याशियों से नाम वापसी के लिए शपथ पत्र ले लिया और इसके बाद सरपंच पद के लिए चार घंटे तक सरपंच पद पर पंचायत में मंथन किया गया।
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कैप्टन रामबीर के नाम पर लगी मुहर
पंचायत में दादा सैय्या व दादा भूरा के परिवार के 18 लोगों के अलावा अध्यक्ष को 13 प्रत्याशियों में से एक नाम घोषित करने की जिम्मेवारी सौंपी। करीब आधे घंटे की मशक्कत के बाद कमेटी ने कैप्टन रामबीर का नाम घोषित कर दिया गया। इस पंचायत की अध्यक्षता बाली ने की। जबकि संचालन बाबू प्रदीप ने किया।full night meeting for sarpanch agreement
कोई भी नहीं चाह रहा था मतदान
सरपंच पद के चुनाव में मनमुटाव व झगड़े की संभावना को देखते हुए गांव का कोई भी व्यक्ति मतदान नहीं चाह रहा था। ऐसे में युवाओं ने इसके लिए अंतिम बीड़ा उठाया और गवर्नमेंट हाई स्कूल की चार दीवारी में बाबा भूमिया के सानिध्य में पंचायत की गई। यह पंचायत शाम 6 बजे से शुरू हुई और ऐतिहासिक गांव की परम्परा को बनाने के लिए प्रयास किए और चुनाव से पहले ही सर्वसम्मति से सरपंच चुने गए।
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