People protest in china against Corona restriction
सत्य खबर, नई दिल्ली । आज पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का कहर थम गया है मगर चीन में लगातार मामले आते जा रहे हैं. आमतौर पर इस देश से ऐसी तस्वीरें सामने नहीं आतीं जैसी अब आ रही है. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तीसरी बार ताजपोशी हुई है. इसी के साथ चीन के कई देशों में कोरोना प्रतिबंधों के खिलाफ जनता सड़कों पर प्रदर्शन करने को मजबूर है. यहां पर कोरोना के हर दिन रिकॉर्ड मामले सामने आ रहे हैं लेकिन लोगों को मौत का डर नहीं बल्कि प्रतिबंधों से डर लग रहा है. जिनपिंग की नीतियों के कारण आज वहां की जनता सरकार विरोधी नारे लगा रही है. शनिवार को चीन में 39,700 से ज्यादा मामले सामने आए थे. आज यहां पर 40,052 नए केस दर्ज किए हैं.
जिनपिंग सरकार जीरो कोविड पॉलिसी लेकर आई है. जिसके तहत लोगों को भयंकर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. यहां पर महीनों से लाखों लोग घरों पर कैद हैं. जिनपिंग ने चीन को कैदखाना बनाकर रख दिया. अब बात सामने ये आती है कि कोरोना के मामले इतनी तेजी से बढ़ रहे हैं कि सरकार की प्राथमिकता लोगों की जान बचाना है. फिर ये विरोध क्यों हो रहा है? इसके पीछे हैं इस देश की नीतियां.People protest in china against Corona restriction
दूसरे देशों की ताकझांक में लगा रहता है चीन
शी जिनपिंग का आधा दिमाग विस्तारवाद नीतियां बनाने में लगा रहता है. इसके बाद वो बाकी चीजों में ध्यान देते हैं. जिनपिंग ने अपनी जिद में दूसरे देशों की वैक्सीन को नकार दिया. जबकि पश्चिमी देशों ने इसको अपनाकर अपनी स्थिति में सुधार किया. यूएस, ब्रिटेन, ब्राजील ये वो तमाम देश हैं जहां पर चीन से कई गुना ज्यादा कोरोना का कहर था मगर सभी ने अच्छी से अच्छी वैक्सीन पर काम किया और आज यहां की स्थिति में पूरा सुधार है.
चीन के ज्यादातर शहरों तक फैला विरोध
सबसे पहले विरोध राजधानी बीजिंग से शुरू हुआ. इसके बाद देखते-देखते पश्चिम में शिनजियांग से लेकर मध्य चीन में झेनझाऊ और दक्षिण में चोंगकिंग और गुआंगडांग तक फैल गया. जनता सड़कों पर है. उनके हाथों में मोमबत्तियां और तख्तियां हैं. हजारों की संख्या में लोग अपने मोबाइल फोन से तस्वीरें खींच कर सोशल मीडिया पर अपलोड कर रहे हैं. पूरी दुनिया चीनी जनता का गुस्सा देख रही है.
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जिनपिंग के खिलाफ नारेबाजी
शंघाई में तो ‘शी जिनपिंग गद्दी छोड़ों, कम्युनिस्ट पार्टी सत्ता छोड़ो… जैसे नारे गूंज रहे थे. पूरी दुनिया जानती है कि चीन में लोकतंत्र के नाम पर क्या होता है. कैसे यहां के चुनाव होते हैं. आमतौर पर चीन जैसे देश में प्रदर्शन होते हैं तो सरकार इसे पश्चिम की साजिश बताकर पल्ला झाड़ने की कोशिश करती है. लेकिन इस बार जिनपिंग फंस गए हैं.यही कारण है कि वो प्रदर्शनकारियों पर कभी लाठीचार्ज तो कभी मिर्च स्प्रे का प्रयोग करवा रहे हैं.
सरकार की तरफदारी करता अखबार
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स चीन की शून्य-कोविड नीति के बारे में कथित रूप से असंतोष फैलाने के लिए पश्चिमी मीडिया पर निशाना साधते हुए एक लेख प्रकाशित किया है. फुडान विश्वविद्यालय के एक शिक्षाविद का हवाला देते हुए लिखा गया है कि वैचारिक मतभेदों के कारण यह पश्चिमी देशों और मीडिया की साम्यवादी सरकारों की आलोचना करने की प्रवृत्ति बन गई है. चीन में लोगों का गुस्सा कोई पहली बार नहीं है. इससे पहले भी यहां पर प्रदर्शन होता रहा है. अभी पिछले हफ्ते चीनी शहर झेंग्झौ में दुनिया की सबसे बड़ी आईफोन फैक्ट्री में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया, जिसमें सैकड़ों श्रमिकों को मार्च करते और पुलिस से भिड़ गए थे.
क्यों विरोध कर रहे हैं लोग?
एक सवाल किया जा रहा है कि लोग जब जान रहे हैं कि कोरोना के कारण लोगों की मौत हो रही है फिर वो लॉकडाउन का विरोध क्यों कर रहे हैं? बीबीसी की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि यहां पर लॉकडाउन के तरीके भी अजीबो गरीब हैं. लोगों को कड़ी यातनाओं का सामना करना पड़ रहा है. एक व्यक्ति कुछ पूछने के लिए एक फाइव स्टार होटल में गया तो उसे दो हफ्तों के लिए क्वारंटीन कर दिया. वो इसलिए कि होटल के एक गेस्ट का संपर्क कोरोना के कुछ संक्रमितों से था. एक हाईस्पीड ट्रेन के चालक दल के एक सदस्य का किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ नजदीकी संपर्क था. इसलिए उस ट्रेन के सभी यात्रियों को सामूहिक परीक्षण के लिए क्वारंटीन कर दिया गया.जबकि इसका कोई मतलब नहीं होता. शंघाई डिज़्नीलैंड में गए 33,863 लोगों का अचानक ही कोरोना टेस्ट करवाना पड़ा, क्योंकि एक दिन पहले वहां पहुंचे एक गेस्ट कोरोना संक्रमित पाए गए थे.People protest in china against Corona restriction
नई वैक्सीन पर करना होगा काम
आपको याद होगा चीन ने पूरी दुनिया में सबसे पहले दावा किया था कि उसने कोरोना वैक्सीन खोज ली है. पूरी दुनिया उस वक्त एक तरह से लाशों का ढेर बनती जा रही थी. लेकिन चीन का दावा चीनी सामान की तरह खोखला निकला. बीबीसी की एक रिपोर्ट में बताया गया कि हांगकांग यूनिवर्सिटी के एक वायरोलॉजिस्ट और सरकार के सलाहकार प्रोफेसर गुआन यी ने न्यूक्लिक एसिड टेस्ट (जो संक्रमण का पता लगाते हैं) से एंटीबॉडी टेस्ट (जो टीकों का असर समझने में मदद कर सकते हैं) की ओर जाने की गुज़ारिश की.फीनिक्स टीवी को दिए एक इंटरव्यू में गुआन यी ने कहा कि इस बात की कोई संभावना नहीं है कि लंबे समय में ‘शून्य-संक्रमण’ की रणनीति कोरोना संक्रमण को पूरी तरह ख़त्म करने में मददगार होगी.
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