सत्य खबर,सोनीपत:Sonipat: Now pockets will be lighter, then the era of pottery is returning.
आधुनिकता की दौड़ में आज हम अपनी परंपराओं को भूल गए हैं. हमारी जीवनशैली और खान-पान आधुनिक हो गया है। इससे कई बीमारियां घर कर गई हैं. किचन के डिजाइन से लेकर वहां बनने वाले खाने तक बहुत कुछ बदल गया है। सारे तरीके बदल गए हैं. रसोई में इस्तेमाल होने वाले बर्तन बदल गए हैं।
प्राचीन काल में मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग किया जाता था, फिर धीरे-धीरे उनकी जगह धातु के बर्तनों ने ले ली। पीतल, तांबा, कांस्य के बाद स्टील। विशेषज्ञों के मुताबिक आजकल जिस तरह के बर्तनों में खाना पकाया और खाया जाता है उससे शरीर को कई तरह के नुकसान होते हैं। ये बर्तन न सिर्फ हमारी जेब और सेहत पर भारी पड़ रहे हैं, बल्कि इनके कारण कुम्हारों का पुश्तैनी काम भी उनसे छिन गया है।
जो कुम्हार मिट्टी के बर्तन बनाकर अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे वे बेरोजगार हो गये। लेकिन अब फिर से पुराने दिन लौट रहे हैं. कम से कम मिट्टी के बर्तनों के मामले में तो पुराना युग आ रहा है। क्योंकि अब एक बार फिर लोग सेहत को लेकर चिंतित हैं और मिट्टी के बर्तनों को प्राथमिकता दे रहे हैं। कुम्हार भी अब लोगों की मांग के अनुरूप बर्तन बना रहे हैं और मुनाफा भी कमा रहे हैं.
कुम्हारों ने अपने पुश्तैनी व्यवसाय को आधुनिक बना लिया है, जहां पहले यह समाज केवल मिट्टी के बर्तन और कुछ ऐसे ही बर्तन बनाता था, अब इसने घर में इस्तेमाल होने वाले हर बर्तन को मिट्टी से बना दिया है। सोनीपत के रहने वाले सुनील कुमार ने सोनीपत में बर्तन की दुकान खोली है. जिसमें उन्होंने अपने पुश्तैनी बिजनेस को आधुनिक बनाया है. वह अपने घर पर केवल बर्तन और चूल्हे बनाते थे, लेकिन अब वह मिट्टी से बने सभी प्रकार के बर्तन बेच रहे हैं। ये बर्तन ग्राहकों को भी खूब पसंद आ रहे हैं.
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