God should not give such daughters to anyone
सत्य खबर , बाराबंकी ।अभी तक आपने कलियुगी बेटों के कई किस्से सुने होंगे, जिन्होंने जमीन-जायदाद के लिए अपनों को नुकसान पहुंचाया हो, लेकिन हम आज आपको दो ऐसी कलयुगी बेटियों के बारे में बताएंगे, जिन्होंने जमीन के एक छोटे से टुकड़े के लिए अपने पिता को ही मृत घोषित करा दिया. अब बेटियों का सताया पीड़ित पिता पिछले लगभग 17 सालों से खुद को जिंदा साबित करने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है. छोटे से लेकर बड़े अधिकारियों तक पीड़ित पिता चक्कर लगा रहा है, लेकिन कहीं से भी उसे न्याय नहीं मिल रहा है.
यह पूरा मामला बाराबंकी जिले के सिरौलीगौसपुर तहसील क्षेत्र के तुरकानी गांव के मूल निवासी सत्यनारायण से जुड़ा है. उनका विवाह बंकी ब्लॉक के बड़ेल गांव की सरोज कुमारी के साथ हुआ था. बड़ेल गांव अब नगर पालिका परिषद नवाबगंज का हिस्सा है. सत्यनारायण की दो लड़कियां प्रीति और ज्योति सैनी हैं. उनके मुताबिक, 12 अक्टूबर 2005 को पत्नी सरोज कुमारी का निधन हो गया था. सत्यनारायण का आरोप है कि सात बीघा जमीन के लिए उनकी दोनों बेटियों ने उन्हें मृत घोषित करा दिया.God should not give such daughters to anyone
जिलाधिकारी से लगाई न्याय की गुहार
उनका कहना है कि वह पिछले लगभग 17 सालों से खुद के जिंदा होने का सुबूत देते-देते थक चुके हैं, लेकिन कहीं भी उनकी सुनवाई नहीं हो रही है. वहीं अब पीड़ित सत्यनारायण इंसाफ के लिए जिलाधिकारी अविनाश कुमार के पास पहुंचे हैं, जिसके बाद डीएम ने एसडीएम नवाबगंज विजय कुमार त्रिवेदी को कार्रवाई के लिए निर्देश दिए हैं. आपको बता दें, इस लड़ाई में पीड़ित सत्यनारायण का साथ उनकी बड़ी बेटी प्रीति सैनी का पति पवन कुमार सैनी दे रहे हैं. पवन कुमार सैनी अपने ससुर सत्यनारायण के लिए पत्नी के खिलाफ हो गए हैं, जिसके चलते ससुर के साथ उन्हें भी परेशान किया जा रहा है, जिससे वह पीछे हट जाएं.
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ग्राम पंचायत अधिकारी भी इस जालसाजी में शामिल
सत्यनारायण का कहना है कि उनकी बेटी प्रीति और ज्योति ने परिवार रजिस्टर की नकल में अपनी मां के साथ-साथ उन्हें भी मृत दिखा दिया. उनका कहना है कि तत्कालीन ग्राम पंचायत अधिकारी फतेहबहादुर तिवारी से मिलकर दोनों बेटियों ने यह काम किया, जिसके बाद इसी नकल के आधार पर 23 अक्टूबर 2005 को करीब सात बीघा जमीन की विरासत उनकी बेटियों ने अपने नाम उस समय के लेखपाल शिवाकांत द्विवेदी ने करा ली. साथ ही एक बिचौलिया गणेश शंकर ने जमीन का बैनामा बाबादीन की पत्नी शांति और अनुराग यादव के नाम करा दिया. तभी से वह लगातार दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं.
2006 में दर्ज कराया था मुकदमा
वहीं पीड़ित के दामाद पवन सैनी के मुताबिक, इस गलत विरासत को निरस्त कराने के लिए उन्होंने नायब तहसीलदार प्रतापगंज के न्यायालय में साल 2006 में मुकदमा दाखिल किया था, जो अब भी लंबित है. उन्होंने बताया कि साल 2013 में बाराबंकी की तत्कालीन डीएम मिनिस्ती एस ने जांच कराई थी, जिसके बाद 23 अक्टूबर 2013 को तत्कालीन ग्राम पंचायत अधिकारी ने सत्यनारायण के जिंदा होने की परिवार रजिस्टर की नकल जारी की, लेकिन नायब तहसीलदार के मुकदमे में सत्यनारायण को अभी भी जीवित नहीं माना गया है.God should not give such daughters to anyone
इन लोगों पर नामजद मुकदमा दर्ज कराया
पीड़ित सत्यनारायण ने उस समय बाराबंकी की नगर कोतवाली में जालसाजी का मुकदमा भी दर्ज कराया. क्राइम नंबर 707/13 का यह केस सिविल कोर्ट में लंबित है. इस मुकदमे में सत्यनारायण ने अपनी लड़की ज्योति और प्रीति सैनी को नामजद किया ही. साथ ही उस समय के ग्राम पंचायत अधिकारी फतेह बहादुर तिवारी, लेखपाल शिवाकांत द्विवेदी, बिचौलिया गणेश शंकर के अलावा बाबादीन और अनुराग यादव को भी नामजद किया था, जिसमें से अनुराग यादव और बाबादीन को जमानत मिल गई थी, जबकि ग्राम पंचायत अधिकारी फतेह बहादुर तिवारी को जेल भेजा गया था, जिनकी दो दिन बाद जमानत हुई थी.
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