सत्य खबर, नई दिल्ली।
When the husband gave a strange argument in the court for divorce, the judge…
केरल हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर पत्नी को खाना बनाना नहीं आता तो इसे क्रूरता बताते हुए यह तलाक लेने का आधार नहीं हो सकता. हाई कोर्ट के दो जजों की बेंच ने पति की याचिका को खारिज कर दिया है. जस्टिस अनिल के. नरेंद्रन और जस्टिस सोफी थॉमस की बेंच के समक्ष लगाई गई याचिका में पति की तरफ से कहा गया था कि पत्नी को खाना बनाना नहीं आता और वो इसके लिए तैयार भी नहीं है. बेंच ने माना, “अपीलकर्ता द्वारा आग्रह किया गया क्रूरता का एक और आधार यह है कि प्रतिवादी खाना बनाना नहीं जानती थी और इसलिए उसने उसके लिए खाना नहीं बनाया. इसे कानूनी विवाह को समाप्त करने के लिए पर्याप्त क्रूरता भी नहीं कहा जा सकता है.”
पेश मामले में दोनों की शादी मई 2012 में हुई थी. पति-पत्नी अबू धाबी में लंबे समय से रह रहे थे. पति ने दलील दी कि पत्नी ने उसके रिश्तेदारों की मौजूदगी में उसका अपमान किया और उसके साथ दुर्व्यवहार किया. उन्होंने कहा कि वह कभी उनका सम्मान नहीं करती थीं और उनसे दूरी बनाकर रखती थी. यह भी दावा किया गया कि पत्नी ने एक बार उस पर थूका था, हालांकि बाद में उसने माफी भी मांग ली थी.
क्या हैं पति-पत्नी के तर्क?
साथ ही कहा गया कि पत्नी ने उस कंपनी में पति की शिकायत भेजी जहां वह काम कर रहा था. रोजगार को समाप्त करने के लिए पति के खिलाफ अपमानजनक बयान दिए गए. पति ने आगे कहा कि वह उसके लिए खाना बनाने के लिए तैयार नहीं थी और यहां तक कि मूर्खतापूर्ण कारणों से उसकी मां से झगड़ा भी करती थी. पत्नी ने सभी आरोपों का विरोध किया और तर्क दिया कि उसके पति में यौन विकृतियां थीं. पति को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं और उन्होंने अपनी दवाइयां खानी भी बंद कर दी हैं.
हाई कोर्ट ने क्या कुछ कहा?
हाई कोर्ट ने कहा कि पत्नी ने अपने पति में देखे गए व्यवहारिक परिवर्तनों के बारे में चिंता व्यक्त की थी और यह पता लगाने के लिए कि उसके साथ क्या गलत था, उसे सामान्य जीवन में वापस लाने के लिए उसके दफ्तर में लोगों से सहायता मांग रही थी. इस आरोप को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है कि उसने अपने पति पर थूका था. इस आधार पर कि विवाह ‘व्यावहारिक और भावनात्मक रूप से समाप्त हो चुका था’ और दोनों पक्ष दस वर्षों से अलग-अलग रह रहे थे, न्यायालय ने कहा, “इसलिए कानूनी तौर पर, एक पक्ष एकतरफा तौर पर शादी से बाहर निकलने का फैसला नहीं कर सकता है, जब तलाक को उचित ठहराने के लिए पर्याप्त आधार नहीं हैं. यह कहते हुए कि काफी लंबे समय तक एक साथ नहीं रहने के कारण, उनकी शादी व्यावहारिक और भावनात्मक रूप से खत्म हो गई है. किसी को भी अपने स्वयं के दोषपूर्ण कार्यों या निष्क्रियताओं से प्रोत्साहन लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती.”