सत्य खबर, नई दिल्ली ।
Why are there fewer stars in the sky? आने वाले कुछ सालों में हमें रात के समय आसमान दिखना बंद हो जाएगा. इसका कारण है- लाइट पॉल्यूशन यानी प्रकाश प्रदूषण. जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेस की ओर से की गई एक रिसर्च स्टडी में बताया गया है कि पिछले एक दशक में आसमान की चमक में 10 फीसदी तक की कमी आई है. वैज्ञानिकों के मुताबिक धरती को जगमग रोशन करनेवाली मानव निर्मित रोशनी (बल्ब, फ्लड लाइट्स वगैरह) के चलते आसमान की चमक फीकी पड़ती जा रही है.
वैज्ञानिकों के अनुसार, धरती पर बढ़ते लाइट पॉल्यूशन के चलते हमारी आंखों और वायुमंडल की रोशनी का बहुत ज्यादा परावर्तन हो रहा है. इसलिए हमारी नजर में आसमान धुंधला दिखता है. यही वजह है कि रात में अब कम तारे दिखते हैं. ऐसा लगता है कि आसमान में तारों की संख्या ही कम होती जा रही है. हालांकि जिन जगहों पर लाइट और एयर पॉल्यूशन कम है, वहां आसमान साफ दिख रहे हैं.
इस स्टडी में एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका के 19 हजार जगहों के 29 हजार लोगों से पूछा गया था कि क्या उन्हें रात में आसमान साफ दिखाई देता है. और पिछले एक दशक से अब तक उन्हें कितना फर्क नजर आता है. दुनियाभर के सिटिजन साइंटिस्टों ने इस बारे में बताया और इसके बाद लाइट पॉल्यूशन की रिपोर्ट तैयार की गई. रिपोर्ट के अनुसार, बीते 10 सालों में आसमान की चमक 10 फीसदी तक फीकी पड़ गई है.
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जर्मन रिसर्च सेंटर के भौतिक विज्ञानी क्रिस्टोफर कीबा ने इस स्टडी को दो तरह से अहम बताया है. पहला ये कि वैश्विक स्तर पर रात के समय आसमान की चमक फीकी पड़ने पर पहली बार स्टडी की गई है. और दूसरा ये कि दुनियाभर के देशों में रात की रोशनी को कम करने के लिए तय नियम और मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही है. मानव निर्मित रोशनी से प्राकृतिक रोशनी का क्षरण हो रहा है.
कीबा के अनुसार, हाल के दशकों में आर्टिफिशियल लाइट के चलते पर्यावरण पर असर हो रहा है और इस पर स्टडी हो रही है. लाइट पॉल्यूशन का असर इंसानों और जानवरों के जीवनचक्र पर भी हो रहा है. जुगनुओं की प्रजाति खत्म होती जा रही है. वहीं जानवरों के संचार का तरीका भीी बदल रहा है. पूरी दुनिया में इसके लिए नियम बनाए जा रहे हैं ताकि हम अपना आसमान देख सकें. धरती को बहुत ज्यादा जगमग कर देना विकास नहीं, बल्कि प्रदूषण है. वैज्ञानिकों का कहना है कि लाइट पॉल्यूशन कम करने के लिए रोशनी देने वाले यंत्रों की दिशा, मात्रा और प्रकार को सुधारा जाना चाहिए.Why are there fewer stars in the sky?
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