अच्छे व्यक्तियों के साथ जीवनयापन करना संगतीकर है – महावीर मुमुक्षु
सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
आर्य समाज के प्रांगण में वेद कथा एवं चतुर्वेद शतकम परायण महायज्ञ का चौथा दिन आचार्य महावीर मुमुक्षु ने देवयज्ञ सम्पन्न करवाया। आदित्य आर्य सपत्नी यजमान के आसन पर उपस्थित थे। यज्ञोपरान्त आर्य जगत के सुप्रसिद्ध भजनोपदेशिका अलका आर्या ने धर्म के वास्तविक स्वरूप पर अपना विचार दिया। धर्म की आड़ में न जाने कितने अधर्म-अत्याचार, अनाचार और व्यविचार किया जा रहा है। केवल देखने में साधु महात्मा परन्तु करनी और कथनी में बहुत अन्तर है। वेदों की मर्यादा जो ठुकरायेगा, निश्चय जानो वह प्राणी दुख पायेगा। स्वामी रामवेश प्रधान, नशा मुक्ति परिषद हरियाणा ने योगेशवर श्री कृष्ण के जीवन पर प्रकाश डाला। आचार्य महावीर मुमुक्षु ने यज्ञ विज्ञान पर अपना विचार देते हुए कहा कि मनुष्य अपने जीवन मैं और परिवारों में सम्पूर्ण विकास चाहता है, यज्ञ को अपने जीवन में धारण करें। देव यज्ञ का तीन अर्थ है- देवपूजा, संगती कर और दान, यानी जड़ देवता और चेतना देवता को आदर-सम्मान और सुरक्षा काना देवपूजा है। अच्छे व्यक्तियों के साथ जीवन यापन करना संगतीकर है। इस अवसर पर इन्द्रजीत आर्य, अमोद आर्य, नरेश चन्द, फकीरचन्द, योगेन्द्रपाल धर्मपाल, जीवन, सतपाल, रामप्रताप, कृष्ण, आदित्य आर्य, अश्वनी आर्य, प्रो. जयपाल, डा. प्रताप सिंह, आरके श्रीवास्तव आदि उपस्थित थे।