सत्यखबर हरियाणा (अशोक छाबड़ा) – हरियाणा में किसानों को धान की खेती करने से रोकने की दिशा में सरकार ने बड़ी सफलता हासिल की है। प्रदेश सरकार ने करीब 70 हजार हेक्टेयर में धान की खेती रुकवाकर किसानों को फसल विविधिकरण की तरफ मोडऩे का लक्ष्य निर्धारित किया था। प्रदेश सरकार ने इस लक्ष्य को पार करते हुए 68 हजार किसानों को 72 हजार हेक्टेयर में धान की खेती नहीं करने के लिए तैयार कर लिया है। यह किसान अब कपास, मक्का, दलहनी फसलें और सब्जियों की खेती करेंगे। इन किसानों को सरकार न केवल प्रमाणित बीज सस्ती दरों पर उपलब्ध कराएगी, बल्कि सात हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से सब्सिडी भी प्रदान करेगी। मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत हरियाणा सरकार ने विपक्ष के तमाम विरोध के बावजूद किसानों को धान की खेती न करने के लिए तैयार किया है। कुछ एरिया ऐसा भी है, जहां जमीन में पानी रिचार्ज नहीं हो पाता।
एक हजार संयंत्रों पर मिलेगी सब्सिडी
ऐसे स्थानों को चिन्हित कर सरकार ने एक हजार रिचार्ज शाफ्ट लगाने का निर्णय लिया है, ताकि बरसाती पानी जमीन में इकट्ठा हो सके। सिर्फ दो दिन के भीतर ही 334 वाटर रिचार्ज शाफ्ट लगाने के आवेदन कृषि विभाग के पास पहुंच गए हैं। बरसात से पहले यह शाफ्ट लगने का काम पूरा हो जाएगा, जिसे कृषि विभाग की मदद से सिंचाई विभाग अंजाम देगा। हरियाणा सरकार ने श्रमिकों की समस्या को देखते हुए तथा पानी की बचत की मंशा से किसानों को धान की सीधी बिजाई के लिए भी प्रेरित किया है।
इसके लिए करीब एक हजार संयंत्रों की सब्सिडी के आधार पर बिक्री का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। किसी भी किसान को 40 फीसदी तथा महिला व अनुसूचित जाति के किसान को 50 फीसदी सब्सिडी दी जाएगी। अभी तक 600 से ज्यादा किसान यह संयंत्र खरीद चुके हैं। एक संयंत्र के इस्तेमाल से एक बार में 10 से 12 एकड़ धान की सीधी बिजाई संभव है,जिसमें न केवल पानी की बचत हो रही है,बल्कि धान लगाने के लिए श्रमिकों की भी जरूरत नहीं पड़ रही है।
हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल के अनुसार करीब सवा लाख एकड़ जमीन में सीधी बिजाई के जरिये धान की खेती संभव है। धान के स्थान पर लोग कपास, मक्का, दालें, सब्जियां और फलों का उत्पादन करने को तैयार हुए हैं। ऐसे तमाम किसानों को सर्टिफाइड बीज उपलब्ध कराने की प्रक्रिया में तेजी लाई जा रही है। कृषि विभाग की टीमों को ऐसे तमाम किसानों के पास भेजा गया है, जो धान की खेती छोड़कर दूसरी फसलों की खेती करने को तैयार हुए हैं। अतिरिक्त मुख्य सचिव के अनुसार वाटर रिचार्ज वेल लगाने के लिए दो से तीन लाख रुपये खर्च आता है।
इसमें से किसान से सिर्फ दस हजार रुपये की ही राशि ली जा रही है। बाकी राशि हरियाणा सरकार खर्च कर रही है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल और कृषि मंत्री जेपी दलाल ने विभिन्न जिलों का दौरा करने के बाद किसानों को सीधी बिजाई, धान की खेती छोडऩे, फसल विविधिकरण की तरफ मोडऩे तथा वाटर रिचार्ज वेल लगाने के साथ ही प्रमाणित बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए हैं। इन पर कृषि और सिंचाई विभाग के अधिकारी मिलकर काम कर रहे हैं।
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