सत्यखबर, करनाल
करनाल के बसताडा टोल पर बुधवार को गुरनाम सिंह चढुनी ने किसानों के साथ मीटिंग कर यात्रा पर फैसला लिया। ऐसे में चढुनी अपने फैसले से बैकफुट पर आ गए। अब किसानों की शहीद किसान यात्रा संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से होगी। जो 24 नवंबर से निकलेगी। वहीं 25 नवंबर की चढुनी दल की किसान यात्रा को रद्द कर दिया गया। साथ ही मोर्चा की यात्रा में शामिल होने की स्थिति भी स्पष्ट नहीं की। अब तक विचार में सामने आया कि वे अपना अलग से कार्यक्रम करेंगे। कल करनाल में ही बैठक करके आगे का फैसला किया जाएगा।
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चढुनी ने कहा कि हमने 25 नवंबर से अंबाला से यात्रा रखी थी। एक और ग्रुप ने ये कह दिया कि हम 24 को अंबाला से ही यात्रा निकालेंगे। माेर्चा में फैसला हुआ था कि सभी लोग अपनी-अपनी जगह से यात्रा निकालेंगे। तो हमने भी 25 का अनांस किया था। वास्तविकता ये है कि मोर्चा वाले मेरे को अलग-थलग करना चाहते हैं। लोगों में मैसेज गया की चढुनी की मोर्चा के साथ लड़ाई चल रही है। ऐसे में हमने इस मसले को उसको समाप्त करना चाहा, चलो अब वो गलती कर रहे है तो हम गलती क्यों करें। दोनों तरफ की गलत से होगी तो इसमें नुकसान हो सकता हैं। सारी बात पर अपने साथियों विचार विमर्श के बाद फैसला लिया है वो जो कर रहे हैं करने दो वो राष्ट्र स्तर की कर रहे हैं। इसमें पंजाब, यूपी, राजस्थान समेत सभी राज्यों से वीडियो डाल रहे हैं। सभी अपना-अपना ग्रुप लेकर यहां पर पहुंचेंगे। ऐसे में हमने अपने वाली यात्रा को नहीं करेंगे।
मोर्चा अलग करना चाह रहा है या खुद अलग होना चाहते हो, इस पर चढुनी ने जवाब दिया कि हम तो अलग नहीं चलना चाह रहे। हमने पहले यात्रा लिखी थी। मोर्चा ने झूठ बोला कि पहले हरियाणा कमेटी में पास हुई, फिर दूसरे कमेटी ने पास की, इसके बाद 9 मेम्बरी कमेटी ने पास की। मोर्चा ने फिर टाइम तय किया। ये कोरा झूठ है। किसी ने कुछ नहीं रखा। फिलहाल ये है कि हम मिलकर चलेंगे। एक ही यात्रा होगी। 25 की यात्रा कैंसल है। यात्रा में शामिल होने के सवाल पर चढुनी ने कहा कि 18 की मीटिंग तय करेंगे। यात्रा में शामिल होना है या नहीं है। हम तो अलग से भी एक प्रोग्राम बनाएंगे। पंजाब के नेता के बयान पर चढुनी ने कहा कि पंजाब के किसान नेताओं ने गुरनाम सिंह को हरियाणा में डाउन करना चाहिए। ये फैसला लिया है। वहां पर किसान खुद बुलाते हैं। कल भी अमृतसर में रैली का टाइम मांगा जा रहा है। मैं किसी बदनियत से पंजाब में नहीं जा रहा हूं। किसान नेताओं की फूट पर बोले कि एलानाबाद में कोई विरोधाभाष नहीं है। हम तो यात्रा का स्वागत करेंगे।
मिशन पंजाब पर कहा कि हर कार्यक्रम का प्लान ए, प्लान बी, प्लान सी होता है। लाठी से काम नहीं चला तो करपान उठाएंगे, करपान काम नहीं आई तो गोली चलाएंगे। किस युद्ध में क्या चलेगा ये तो मौके पर निर्भर होता है। कृषि कानून के लिए एक साल से धरना चल रहा है कोई नहीं सुन रहा। जो पॉलिसी है वो गरीब को गरीब और अमीर को अमीर बना रही है। ये पॉलिसी जिसने बनाई है वो गलत है। जो हमारे देश को गरीब बनाती है। जहां-जहां पंजाब में जा रहे हैं, वहां पर और ज्यादा लोग जुड़ रहे हैं। मिशन पंजाब से बल मिला है। सुरेश कौथ ने उनके खिलाफ लिखने के बयान पर कहा कि अंबाला के कौन से किसानों ने प्रोग्राम लिखवाया है। उनका नाम उजागर करे। मेरा जिला है, मेरे से सलाह कर रहे। जब हमारी 25 की वीडियो पहले आ गई तो एक बार पूछ ले कि अंबाला वाले आए थे वो 24 की बात कर रहे हैं। हमारे आदमी नहीं लिख रहे वो आम आदमी हैं। मैनें फिर भी उससे माफी मांगी थी। इसमें कोई लाग डाट वाली बात नहीं है। अब चार महीने से अपना संगठन खड़ा कर लिया।
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