सत्यखबर, नई दिल्ली
अमेरिका ने ईरान के एनर्जी सेक्टर पर से कुछ प्रतिबंधों को हटा लिया है। इसमें ईरान के तेल पर लगे प्रतिबंध भी शामिल हैं। अधिकारियों के अनुसार अमेरिका का यह कदम ईरान के प्रति उसके ईमानदार रवैये का परिणाम है। वहीं अमेरिका के इन प्रतिबंधों का हटना भारत के लिए बड़ी राहत की बात यह है कि अब ईरान से तेल आयात में आसानी हो सकेगी। वहीं जानकारों का मानना है कि देश में पेट्रोल-डीजल सस्ता हो सकता है। बता दें कि बीते चार मई से पेट्रोल की कीमतों में तेजी जारी है। कभी लगातार तो कभी ठहर-ठहर कर 23 दिनों में ही पेट्रोल 5.53 रुपये प्रति लीटर महंगा हो गया है। वहीं इस दौरान डीजल का दाम 5.97 रुपये प्रति लीटर बढ़ चुका है।
ऐसे समय में जब पेट्रोल की कीमतें देश में 100 रुपए प्रति लीटर तक पहुंची चुकी हैं। ईरान की तरफ से आने वाली यह खबर निश्चित तौर पर राहत प्रदान करने वाली है। भारत का अधिकांश कच्चा तेल ईरान से ही खरीदा जा रहा था मगर साल 2019 के बाद से स्थितियां बदल गई थी। इस वर्ष के अप्रैल माह से ही ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में परमाणु संधि को लेकर वार्ता जारी थी। ईरान पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों के हटने से भारत फि र से तेल का आयात शुरू कर सकता है। साल 2019 के मध्य से ईरान से तेल आयात बंद है। भारत सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी की तरफ से अप्रैल माह में कहा गया था कि एक बार प्रतिबंध हट जाते हैं तो ईरान से तेल आयात पर विचार किया जा सकता है। उक्त अधिकारी की मानें तो भारतीय रिफाइनरी कंपनियों ने इस संदर्भ में तैयारी शुरू कर दी है और वे प्रतिबंध हटते ही फि र से कॉन्ट्रैक्ट कर सकती हैं।
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पिछले दिनों खबरें आई थी कि ईरान और दुनिया की 6 महाशक्तियों ने साल 2015 में हुई परमाणु डील को दोबारा शुरू करने की दिशा में अहम प्रगति की है। ईरान की तरफ से कहा गया था कि परमाणु समझौते को फिर से शुरु करने के लिए जारी वार्ता में कुछ प्रगति हुई है। मगर इसमें कुछ अहम मुद्दे जस के तस बने हुए हैं। मंत्रालय के ब्यान के बाद से इस बात के कयास लगाए गए थे कि जल्द ही अमेरिका ईरान पर लगे प्रतिबंधों को लेकर बड़ा फैसला कर सकता है।
ईरान से तेल आयात के बाद बाजार में तेल की कीमतों पर लगाम लग सकेगी। साथ ही भारत को आयात के लिए एक और स्त्रोत मिल सकेगा। वित्त वर्ष 2020-21 में ईराक, भारत का सबसे बड़ा तेल स्पलायर था। उसके बाद सऊदी अरब और यूनाइटेड अरब अमीरा यूएई। इसके बाद चौथे नंबर पर नाइजीरिया और पांचवां स्थान अमेरिका था। सरकार के सूत्रों के मुताबिक भारत पिछले लंबे समय से तेल उत्पादक देशों से उत्पादन सीमा हटाकर उत्पादन बढ़ाने की मांग कर रहा है। तेल के दामों में इजाफा भारत समेत दुनिया की इकोनॉमी रिवाइवल के लिए खतरा है।
भारत अपनी जरूरतों का 85 प्रतिशत से अधिक तेल आयात करता है। साल 2019 से पहले भारत, ईरान का दूसरा सबसे बड़ा ग्राहक था। ईरान के कच्चे तेल से कई फ ायदे हैं। इसमें ट्रैवेल रूट छोटा है और इससे माल ढुलाई सस्ती पड़ती है। साथ ही पेमेंट के लिए भी लंबा समय मिलता है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साल 2018 में ईरान के साथ ऐतिहासिक परमाणु डील को खत्म कर दिया था। ये डील ओबामा प्रशासन के समय साल 2015 में हुई थी। इसके बाद ईरान पर कई प्रतिबंध लगा दिए गए और फिर वहां से निर्यात घटता चला गया। पाबंदी के बाद भारत समेत कुछ देशों को छूट दी गयी थी, जो 2019 में खत्म हो गई थी।
ईरान ने भी तेल का उत्पादन बढ़ाने की दिशा में तेज गति से काम शुरू कर दिया है। ईरान पर लगे प्रतिबंधों की वजह से देश को खासा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। इस देश की अर्थव्यवस्था तेल पर ही निर्भर है। भारत जैसे देशों का तेल निर्यात करके ईरान अपना खर्चा चलाता है, लेकिन प्रतिबंधों की वजह से बड़े आयातक देशों ने ईरान से तेल खरीदना बंद कर दिया था। ऑयल मिनिस्ट्री की वेबसाइट शाहना ने नेशनल ईरानियन ऑयल कंपनी के प्रोडक्शन मैनेजर फ ारुख अलिखानी के हवाले से लिखा है कि एक माह के अंदर ज्यादा से ज्यादा कच्चे तेल का उत्पादन बहाल कर लिया जाएगा।
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