सत्यखबर, रोहतक
जिले के बहुचर्चित जाट कॉलेज अखाड़ा हत्याकांड में दोनों पक्षों की बहस पूरी हो चुकी है । मामले में गुरुवार को आखिरी बहस हुई थी। शुक्रवार को फिजिकली तौर पर सुखविंद्र और उसको हथियार मुहैया करवाने वाले आरोपी मनोज निवासी मुज्जफरनगर यूपी को कोर्ट में पेश किया गया। सुरक्षा के मद्देनजर दोनों आरोपियों को एंबुलेंस में कोर्ट लाया गया, ताकि किसी को भनक न लगे। पेशी के दौरान दोनों आरोपियों के मुंह पूरी तरह लटके हुए थे। करीब डेढ़ घंटे तक कोर्ट में कार्रवाई चली। जिसके बाद अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश डॉ. गगनगीत कौर की कोर्ट ने दोनों आरोपियों पर आरोप तय कर दिए। साथ ही मामले में अगली तारीख 31 जनवरी 2022 की दी गई। शिकायतकर्ता पक्ष के अधिवक्ता जय हुड्डा ने बताया कि अब अगली तारीख से तय आरोपों पर गवाही शुरू होगी।
यह था मामला
शहर के जाट कॉलेज अखाड़े में 12 फरवरी 2021 को कोच सुखविंद्र ने मुख्य कोच मनोज समेत 6 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। मृतकों में मुख्य कोच मनोज के अलावा, उसकी पत्नी साक्षी, 3 साल का बेटा सरताज, कोच प्रदीप, सतीश और पूजा शामिल थे। पुलिस ने आरोपी कोच सुखविंद्र और उसको हथियार उपलब्ध कराने वाले मनोज को गिरफ्तार किया है। मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रहा है।
मनोज मलिक और साक्षी ने अखाड़े में आने से रोका था
जाट कॉलेज अखाड़ा के सीनियर कोच मनोज मलिक व उसकी पत्नी साक्षी मलिक ने आरोपी कोच सुखविंदर को उसके खिलाफ मिल रही शिकायतों के कारण अखाड़े में आने से मना किया था। मनोज मलिक जाट कॉलेज में डीपी के पद पर कार्यरत थे। कॉलेज के पीछे बना अखाड़ा भी मनोज की देखरेख में चलता था। इसी अखाड़े में सुखविंदर भी कोचिंग देता था। वारदात के करीब 5 माह पहले दो महिला खिलाड़ियों ने मनोज से सुखविंदर की शिकायत की थी। शिकायत मिलने के बाद मनोज ने सुखविंदर को मना कर दिया था कि वह कोचिंग देने अखाड़े में न आए। इसी रंजिश के चलते मनोज और साक्षी की हत्या की गई थी। इनके तीन साल के बेटे सरताज की किसी के साथ कोई दुश्मनी नहीं थी।
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लेकिन उसके सिर में भी गोली मारी गई थी, जो आंख से आर-पार हो गई थी। सरताज 4 दिन तक अपनी जिंदगी की लड़ाई लड़ता-लड़ता दम तोड़ गया था। गांव मोखरा का रहने वाला प्रदीप मलिक अखाड़े में कभी-कभी कोचिंग देने के लिए आता था। वह रेलवे में टीटी था और समय मिलने पर अखाड़े में आता था। पहले इसी अखाड़े में सुखविंदर ने उसे प्रशिक्षण दिया था। लेकिन कुछ समय से प्रदीप और सतीश में नजदीकियां बढ़ गई थीं और सुखविंदर की अनदेखी शुरू हो गई थी।
कोच सतीश दलाल गांव मांडौठी का रहने वाला था। इसी अखाड़े में वह सुखविंदर के साथ कोचिंग देता था। लेकिन कुश्ती के अच्छे खिलाड़ी सतीश को अहमियत देने लगे थे और सुखविंदर से कोचिंग लेने से कतराने लगे थे। इस वजह से खिलाड़ियों को लेकर दोनों के बीच आपसी मनमुटाव भी था।
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