सत्यखबर
9 दिन पहले फेसबुक का नाम बदलने का चर्चा सोशल मीडिया पर जोर-शोर से हुई। ये भी कहा गया कि कंपनी सालाना कॉन्फ्रेंस में नए नाम का ऐलान कर सकती है। हालांकि इसे फेसबुक ने सिरे से खारिज कर दिया था, लेकिन 9 दिन बाद सब कुछ वैसा ही हुआ, जैसी चर्चा थी। सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक अब ‘मेटा’ नाम से जानी जाएगी। क्या नाम बदलने से फेसबुक के अकाउंट पर कोई असर होगा? फेसबुक के हिस्सा रहने वाले वॉट्सऐप और इंस्टाग्राम पर इसका कोई असर होगा? क्या मेटा के लिए यूजर्स को अलग से कोई अकाउंट बनाने की जरूरत पड़ेगी? इन तमाम सवालों के जवाब हम आपको बता रहे हैं… फेसबुक दरअसल वॉट्सऐप, इंस्टाग्राम समेत कई कंपनियों की पेरेंट कंपनी है। CEO मार्क जुकरबर्ग अपने सभी छोटे-बड़े प्लेटफॉर्म को एक कंपनी के अंदर लाना चाहते थे। इस वजह से उन्होंने मेटावर्स तैयार की। मेटावर्स अब 93 कंपनियों की पेरेंट कंपनी बन चुकी है। जुकरबर्ग का मानना है कि टेक्नोलॉजी की शुरुआत हमने की थी और हम इस रेस में पीछे नहीं रहना चाहते। इसी वजह से मेटावर्स को तैयार किया गया है।
वर्चुअल रियलिटी के नेक्स्ट लेवल को मेटावर्स कहा जाता है। आसान शब्दों में कहा जाए तो मेटावर्स एक तरह की आभासी दुनिया होगी। इस तकनीक से आप वर्चुअल आइडेंटिटी के जरिए डिजिटल वर्ल्ड में एंटर कर सकेंगे। यानी एक पैरेलल वर्ल्ड जहां आपकी अलग पहचान होगी। उस पैरेलल वर्ल्ड में आप घूमने, सामान खरीदने से लेकर, इस दुनिया में ही अपने दोस्तों-रिश्तेदारों से मिल सकेंगे। भविष्य में इस टेक्नोलॉजी के एडवांस वर्जन से चीजों को छूने और स्मेल करने का अहसास कर पाएंगे। मेटावर्स शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल साइंस फिक्शन लेखक नील स्टीफेन्सन ने 1992 में अपने नोबेल ‘स्नो क्रैश’ में किया था।
1. क्या नई कंपनी का स्ट्रक्चर पुरानी कंपनी के जैसा ही रहेगा?
2. भारतीय कंपनी क्या अमेरिकी कंपनी की 100% सब्सिडियरी रहेगी और उसकी जवाबदेही क्या होगी?
3. क्या फेसबुक की जो नई कंपनी है वो पूरे भारत में टैक्स देगी?
4. नए IT नियम से जो ग्रीवांस, नोडल और कम्पालंएस ऑफिसर बनाए गए हैं, वे नई कंपनी के होंगे या पुरानी के?
5. नई कंपनी सिर्फ अपना नाम और चेहरा बदल रही है या पूरा बिजनेस मॉड्यूल। यदि हां तो फिर सरकार इससे कैसे निपटेगी?
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