सत्यखबर, जाखल, दीपक
सब्जी उत्पादको को कहना है कि सब्जी समय पर मंडियों में पहुंच रही है बेचने के लिए पर्याप्त लोग मौजूद है लेकिन समय की पाबंदियों के बीच सब्जी खरीदने वालो के ना पहुंचने के कारण सब्जी उत्पादको की हालत पतली हो रही हैं उनकी लिए आमदनी अठन्नी खर्चा रूपया वाली स्थिति बनी हुई है । जाखल टोहाना क्षेत्र में सब्जीउत्पादक गांव म्योंदकलां, साधनवास, म्योंदखुर्द, शक्करपुरा, गुल्लरवाला सहित अन्य क्षेत्रों में किसान बड़े पैमाने पर सब्जी उत्पादन करते है । जैसे आलू , टमाटर, मिर्च, कद्दू, लौकी, करेला, शिमला मिर्च ,पेठा और भिंडी सहित अन्य सब्जियों की खेती की है।
कोरोना महामारी को लेकर लागू लॉकडाउन ने सब्जी उत्पादकों की मुश्किलें बढ़ाई हैं। सब्जी उत्पादक आसपास की मंडियों के साथ साथ होशियारपुर दिल्ली ,शिमला ,चण्डीगढ़,लुधियाना ,जालंधर में सब्जियां लेकर समय पर बिना रूकावट के पहुंच रहे है । इन मंडियों से माल लेकर लोगो तक बेचने वाले भी पर्याप्त मात्रा में आ रहे है लेकिन लॉकडाउन में सब्जी की खरीददारी ना होने से ना तो पूरी सब्जी बिक रही ना पूरा दाम मिल रहा है मतलब औने पौने दाम में बेचने को मजबूर सब्जी उत्पादक
सब्जी उत्पादको की परेशानी उनकी ही जुबानी
गुल्लरवालां के किसान निर्मल सिंह चॉक , बलबीर सिंह चॉक , हर्षप्रीत चॉक बताते है कि वो 1976 से सब्जी उगाते आ रहे है लेकिन जो मुशिकले लॉकडाउन के चलते उन्हे अब आ रही है वो कभी नही आई i वो कहते है कि चण्डीगढ़ जैसे शहर लॉकडाउन के चलते बंद है जहां सब्जी के सबसे बड़े उपभोक्ता थे इसी तरह आम आदमी के पास कामधंधा नही तो जेब में पैसा नही है जिसका असर सब्जी की खपत व रेट पर पड़ रहा है इसी के चलते सब्जी उत्पादक नुकसान झेलने को मजबूर है क्योंकी उचित कीमत और दूसरे जिलों में ले जाने पर वाहन भाड़ा आदि खर्च के बाद उचित बचत न निकलने से किसान खर्च हुई लागत नहीं निकाल पा रहे हैं। सब्जी की तोड़ाई बंद कर देने से उपज खेतों में ही सड़ रही है। किसान दवा और पानी और खाद भी नहीं दे रहे हैं। वहीं, आने वाली तरबूज व खरबूजा की फसल को लेकर चिंता बढ़ गई है।
गुल्लरवालां के किसान निर्मल सिंह चॉक ने बताया कि उन्होंने 70 हज़ार प्रति एकड़ सालाना खेत ठेके पर लेकर 30 एकड़ में सब्जी लगा रखी जिसमें शिमला मिर्च व भिंडी की खेती की है। लॉकडाउन के चलते शिमला मिर्च थोक में 20 रुपये की जगह 5- 6 रुपये प्रति किग्रा, व भिंडी 90 रुपये की जगह 30 से 50 रुपये किग्रा. बिक रही है। क्षेत्र में भी पर्याप्त खपत न होने के कारण कोई सब्जी पूछ नहीं रहा है। जिससे काफी मात्रा में बच जाती है। बताया कि एक एकड़ भिंड़ी -शिमला मिर्च सब्जी में करीब एक लाख रुपये लागत आती है जबकि बैंगन व टमाटर की खेती में प्रति एकड़ 50 से 60 हज़ार । लॉकडाउन के चलते सब्जी की खेती में लागत भी नहीं निकलेगी। एक ही समय में अनेक प्रकार की सब्जियों का उत्पादक करने वाले साधनवास गांव के सब्जी उत्पादक गुरबाज सिह व गुरदयाल सिह ने बताया कि पिछले सीजन में रोजाना 25 किंवटल सब्जी की बिक्री 50 हजार रूपए होती थी लेकिन अब लॉकडाउन के चलते मात्र 22 से 25 हज़ार रूपए ही बिक्री आती है । उन्होंने बताया कि करेला 70 रू किलो जबकि अब 50 रूपए , कड़वी मिर्च 60 रू प्रति किलो अब 25 रूपए ,बैंगन 15 रूपए लेकिन अब 10 रूपया व पेठा 12 रूपया जबकि लॉक डाउन में 5 रूपए प्रति किलो ही बिक रहा है क्योंकी उपज के मुताबिक क्षेत्र में खपत भी नहीं है। जिसके चलते जहां सब्जी माटी मोल बिक रही है। लॉकडाउन के चलते मुनाफा तो दूर लागत भी निकलते नजर नहीं आ रही है।
म्योंद कलां के भिण्डी सब्जी उत्पादक बख्शीश सिंह का कहना है कि हमारे गांव में 150 एकड़ में भिंडी की फसल की खेती की जा रही उन्होंने बताया कि शाम को वो होशियारपुर , जालंधर ,टोहाना आदि शहरो की मंडी में अपनी फसल भिंडी बेचने जाते हैं। वहां पर सुबह 4 बजे से 6 बजे तक ही सब्जी मंडी लगती है। उसी बीच कम दाम पर सब्जी बेचनी पड़ रही है। उन्होंने बताया कि बाजार सुबह 5 बजे एक घंटा ही लगती है।
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