पहली लहर के दोरान कोरोना वायरस के संपर्क में आने से करीब 40 लोग पॉजिटिव होते थे, जानिए अब क्यों 90 लोग हो रहें पॉजिटिव हो रहें है

585
SHARES
3.2k
VIEWS

सत्य खबर

कोरोना महामारी के  दूसरे दौर की  जंग में हम सब इस वक्त शामिल है|  शुरू में ही पता चल गया था कि दुनिया के कई हिस्सों में कोरोना वायरस अपना रंग-रूप बदल रहा है। वैज्ञानिको के मुताबिक यह बात भी सामने आई कि नए रूप में यह ज्यादा खतरनाक  और घातक  हो चुका है। और यह भी समय से पता लग चुका था कि भारत में भी लोग इस नए वायरस की चपेट में आ चुके है। सारी जानकारी के बावजूद भी हम उस स्तर की सावधानी नहीं बरत सकें जिसकी इन परिस्थितियों में जरूरत थी। आइए आपको बता दे की इस  वायरस के नए वैरिएंट्स क्या होते हैं और ये कैसे साधारण वायरस से  अलग होते हैं?

वायरस में बदलाव की एक सहज प्रक्रिया होती है। खुद के अस्तित्व के लड़ाई के क्रम में यह अपने जेनेटिक तत्वों या शरीर में बदलाव करता रहता है। कोविड-19 का वायरस भी इससे अलग नहीं है। करीब डेढ़ साल पहले वैज्ञानिको ने इस बात का पता लगा लिया था कि चीन से पैदा होने वाला यह वायरस तेजी के साथ रूप बदल रहा है। इस प्रक्रिया को म्युटेशन (बदलाव) कहते हैं। यह बदलाव अच्छा भी हो सकता है और बुरा भी हो सकता है। दुनिया में इस वायरस के हजारों परिवर्तित रूपों का पता चल चुका है। वायरस के इसी बदले रूप को वैरिएंट्स या स्ट्रेन कहा जाता है। ब्राजील, ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका का स्ट्रेन दुनिया में नए सिरे से मामलों की वृद्धि के लिए जिम्मेदार माने जा रहे हैं। इसी बीच भारत में एक डबल म्युटेशन  की भी पुष्टि हुई है।

यह भी पढ़े:- दिल्ली में आज रात 10 बजे से 26 अप्रैल की सुबह 6 बजे तक लगा लॉकडाउन

इस वायरस के नए रूप को देखते हुए दुनिया के सभी वैज्ञानिक इसलिए चिंता मे हैं क्योंकि इनके संक्रमण के मामलों से विस्फोट हो सकता है। और अब यह चिंता कई देशों में दूसरी, तीसरी और चौथी लहर के रूप में दिखने भी लगी है। अध्ययनों में यह बात तो सामने आई है कि वायरस के नए रूप मूल की तुलना में ज्यादा संक्रमक हैं लेकिन अमेरिकी संस्था सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार इस बात के कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं कि वायरस के रूप बीमारी को ज्यादा गंभीर करने में सक्षम हैं। अगर सिर्फ ये तेजी से संक्रमण भी फैलाते हैं तो भी देशों के स्वास्थ्य ढ़ांचे चरमरा सकते हैं। अस्पताल में भर्ती कराने वाले लोगों की संख्या में तेज इजाफा हो सकता है। कमजोर इम्युनिटी वाले लोग अगर इसकी चपेट में आते हैं तो उनकी जिंदगी पर जादा खतरा  है।

Next Post

Comments 2

  1. Aluminium scrap melting process Aluminium scrap dross recycling Metal reprocessing plant

  2. Iron dump says:

    Metal reclamation solutions Ferrous material recycling cost savings Iron and steel scrapping

    Ferrous material demolition, Iron waste reclaiming and recycling solutions, Metal reclaiming yard collection

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *