सत्य खबर
देश में कोरोना का कहर अभी जारी है। वहीं ब्लैक फंगस नाम का के वायरस ने देश अपने पांव पसारने शुरू कर दिये है। तो वहीं अब व्हाइट फंगस की समस्या से भी देश जूझ रहा है। बताया जा रहा है कि यह व्हाइट फंगस ब्लैक फंगस से भी खतरनाक है। संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. ईश्वर गिलाडा का कहना है कि यह कोई बहुत बड़ी समस्या नहीं है, लेकिन इसे बड़ा बना दिया गया है।
डॉ. ईश्वर गिलाडा ने कहा, व्हाइट फंगस बेहद साधारण फंगस है, जिसे हम लोग बरसों से देख रहे हैं। यह कैडिडा बीकॉन्स नाम के फंगस से होता है। उसे कैंडेडियासिस कहते हैं। औरतों में ल्यूकोरिया नाम की जो बीमारी होती है, उसमें श्वेत प्रदर होता है। उसमें आधे श्वेत प्रदर कैंडिडिया से होते हैं और 3-4 दिन में ठीक हो जाता है।
यह भी पढ़ें:- कोरोना महामारी से निपटने के लिए आरबीआई सरकार को देगा 99 हजार करोड़ रुपये
उसी ढंग से एचआईवी के मरीज होते हैं। व्हाइट फंगस की समस्या उन्हें आती है, जो इमिनो कंप्रोमाईज, अस्थमा के मरीज हैं और स्टेरायड लेते हैं। जिसका शुगर ज्यादा हो जाता है, उसमें कैंडिडा इन्फेक्शन होता है। कैंडिडा के धब्बे जीभ के ऊपर और तालुओं पर सफेद रंग के होते हैं, इसलिए उसका नाम व्हाइट फंगस दे दिया गया। वहीं डॉ. गिलाडा ने कहा, आपको मधुमेह (शुगर) नियंत्रित रखना है और जब इम्यूनिटी कमजोर होती है तो इसका ध्यान रखना है कि कहीं फंगस तो नहीं हुआ है। जब शरीर में शुगर बढ़ जाता है और स्टेरॉयड की वजह से इम्यूनिटी कम होती है तो फंगस आ जाता है। यह एक अवसरवादी बीमारी है।
Scrap aluminium ferrous metal Aluminium recycling resilience Metal waste repurposing and recycling