सत्य खबर
भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा(एलएसी) के पास पूर्वी लद्दाख सीमा पर तनाव जारी है। इसको लेकर दोनों देशों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है। सरकार ने बताया है कि दोनों देशों के बीच 6 नवंबर को हुई वार्ता बेनतीजा रही है। इसके बाद अब भारत और चीन के बीच अगले दौर की बातचीत जल्द होगी।
सरकार के मुताबिक, सीमा पर सैनिकों का जमावड़ा घटाने के लिए भारत और चीन के बीच शुक्रवार को हुई आठवें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही। करीब साढ़े नौ घंटे चली बैठक से इस गंभीर समस्या का समाधान निकलने की कोई उम्मीद नहीं बंधी। दोनों देशों के हजारों सैनिक शून्य से बीस डिग्री नीचे कठिन परिस्थितियों में मोर्चे पर डटे हैं।
सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि सैन्य कमांडर स्तर की आठवें दौर की वार्ता से कोई दिशा नहीं मिली। अपने रख पर अ़़डा चीन पीछे हटने को तैयार नहीं है। हमने भी साफ कर दिया है कि उचित समाधान होने तक हम भी एक इंच पीछे नहीं हटेंगे। दोनों देशों के कमांडरों के बीच पूर्वी लद्दाख के चुशूल में शुक्रवार की सुबह साढ़े नौ वार्ता शुरू हुई। वार्ता शाम सात बजे तक चली।
उल्लेखनीय पिछले छह माह से अधिक समय से जारी इस गतिरोध को समाप्त करने के लिए दोनों देशों के सैन्य कमांडर इससे पूर्व सात बार मिल चुके हैं। इससे पूर्व इस तरह की बैठक 12 अक्टूबर को हुई थी। वह वार्ता भी बेनतीजा रही थी। हालांकि दोनों देश इस समस्या के सर्वस्वीकार्य हाल निकालने के लिए सैन्य और कूटनीतिक चैनलों के जरिये संवाद कायम रखने की प्रतिबद्धता दर्शा चुके हैं।
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गत 30 अगस्त को भारतीय सेना ने पैंगोंग झील के पास रेचिन ला, रेंजाग ला, मुखपरी और टेबलटाप पर उंचाई वाली जगहों पर अपनी सामरिक स्थिति मजबूत कर ली थी। अब तक इन पहा़ि़डयों पर दोनों देशों में किसी ने भी अपने सैनिक तैनात नहीं किए थे। इन 13 पहा़ि़डयों के भारतीय सैनिकों के कब्जे में आने से चीनी कब्जे वाले स्पांगुर गैप पर भारत की पकड़ मजबूत हो गई है। यहां से भारतीय सैनिक मोल्दो के सैन्य ठिकाने पर भी नजर रख रहे हैं।
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