सत्य खबर, चण्डीगढ़
सावन की शिवरात्रि 26 जुलाई को है और शाम 6 बजकर 46 मिनट के बाद जलाभिषेक का सही समय है। इस दिन भक्त व कांवड़ यात्री भगवन शिव का अभिषेक करते हैं। मंदिरों में भी विशेष पूजा की जाती है। इसलिए पूजा से पहले शुभ मुहूर्त व सही समय का पता होना महत्वपूर्ण है, ताकि शुभ मुहूर्त में ही अभिषेक किया जाए।
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सावन में जिस दिन त्रयोदशी दिन में हो और दोपहर बाद चतुर्दशी तिथि लगती हो, उस दिन सावन शिवरात्रि होती है। इसलिए मंगलवार को शाम 6:46 बजे के बाद शिवरात्रि शुरू होगी और अभिषेक करने का यही सही समय है। इससे पहले त्रयोदशी की पूजा रहेगी। शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ाने का भी विशेष महत्व होता है।
4 पहर की पूजा होती है
शिवरात्रि पर रातभर 4 पहर की पूजा का महत्व बताया गया है, जिसमें पूजा करने का विशेष फल प्राप्त होता है। इसलिए शाम 6 से रात 9 बजे तक पहला पहर, रात 9 से 12 बजे तक दूसरा पहर, रात 12 से 3 बजे तक तीसरा पहर व 3 से सुबह 6 बजे तक चौथा पहर होता है। प्रत्येक पहर में अलग-अलग पूजा होती है।
केवल सावन में ही शिवलिंग पर चढ़ता है दूध
पंडित अनुराग शास्त्री ने बताया कि कि केवल सावन महीने में ही शिवलिंग पर दूध चढ़ाया जाता है, खासकर शिवरात्रि को। हालांकि भक्त अन्य माह में भी शिवलिंग पर दूध चढ़ाते हैं। मान्यता है कि सावन की शिवरात्रि के दिन भगवान शिव ने विष पिया था, जिस कारण गर्मी बढ़ गई थी। इसलिए दूध व गंगाजल शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है। सावन में शिवलिंग पर दूध चढ़ाने का एक कारण यह भी है कि इस माह लोग दूध नहीं पीते, इसलिए शिवलिंग पर चढ़ाने की प्रथा है।
रुद्राभिषेक का विशेष महत्व
सावन की शिवरात्रि पर रुद्राभिषेक का विशेष महत्व होता है। अलग-अलग मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए विभिन्न तरीके से अभिषेक किया जाता है। पंडित अनुराग शास्त्री ने बताया कि सुख-शांति के लिए गंगाजल से, संपत्ति प्राप्ति के लिए गाय के दूध से, संतान प्राप्ति के लिए घी से, रोग निवारण से गिलाय या कुषाह के रस से, धन प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से, बच्चों की पढ़ाई बढ़ाने के लिए केसर से अभिषेक होता है।
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