सत्यखबर चंडीगढ़
पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मंडियों में किसानों को हो रही परेशानी के सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया है. उनका कहना है कि किसान कई हफ्तों से मंडियों में धान और दूसरी फसलें लेकर पहुंच रहे हैं लेकिन उनकी ख़रीद नहीं हो रही है. फसल की आवक के मुक़ाबले ख़रीद ना के बराबर है. रेजिस्ट्रेशन और गेट पास के नाम पर किसानों को परेशान किया जा रहा है. सरकार नमी का बहाना बनाकर फसल ख़रीदने से इंकार कर रही है. जितनी भी ख़रीद हो रही है, उसमें भी किसानों को एमएसपी नहीं मिल पा रहा है. मजबूरी में किसान ओने-पौने दामों पर अपनी फसल प्राइवेट एजेंसी को बेच रहे हैं. एजेंसियां किसानों की मजबूरी का फायदा उठाकर उन्हें लूट रही हैं.
हुड्डा ने कहा कि यह वही प्राइवेट एजेंसियां है जिनके बारे में सरकार दावा कर रही थी कि 3 नए क़ानून लागू होने के बाद ये एजेंसियां फसल को एमएसपी से भी ऊंचे रेट पर ख़रीदेंगी. लेकिन अब स्पष्ट हो गया है कि प्राइवेट एजंसियां सिर्फ किसानों फसल लूटने में लगी हैं. क्योंकि सरकार किसानों की फसल एमएसपी पर ख़रीदने के लिए तैयार नहीं है.सरकार ने किसानों को इन प्राइवेट एजेंसियों के हवाले करने के लिए ही ये 3 किसान विरोधी क़ानून लागू किए गए हैं. सरकारी अनदेखी के शिकार किसानों को अपनी धान 500 से 1000 रुपए कम रेट पर बेचनी पड़ रही हैं. इसी तरह मक्का किसानों को भी प्रति क्विंटल एक ज़ार से 12 सौ रुपए कम रेट मिल रहा है. यही हाल बाजरा और कपास का है. हुड्डा ने कहा कि प्रदेश की मंडियों में किसानों की हर फसल पिट रही है. मंडियां धान और दूसरी फसलों से अटी पड़ी है. किसान अपने पीले सोने को सड़क पर गेरने के लिए मजबूर है लेकिन सरकार आंखें बंद किए बैठी है.
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साथ ही हुड्डा ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के दौरे के दौरान भी मंडियों में किसानों से बात की थी. किसानों ने बताया कि सरकार उनकी कोई सुध नहीं ले रही है. मजबूरी में उन्हें बार-बार आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ रहा है. ख़रीद नहीं होने से नाराज़ किसान और आढ़तियों ने अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, कैथल समेत कई जिलों में कई बार धरना प्रदर्शन किया और जाम लगाया. फिर सरकार ने उनकी नहीं सुनी. किसानों का कहना है कि सरकार के तीन नए क़ानूनों ने असर दिखाना शुरू कर दिया है. आने वाले दिनों में हालात और बदतर हो जाएंगे. इसलिए वो इन क़ानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं.
हुड्डा ने सिरसा में सत्ताधारी गठबंधन सहयोगी जेजेपी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के आंदोलन को जायज़ ठहराया. उन्होंने कहा कि मुश्किल की इस घड़ी में सभी राजनीतिक दलों का फर्ज है कि वो कांग्रेस की तरह किसानों के साथ खड़े हों. इसलिए किसानों के साथ धोखा करने वाले सरकार से जेजेपी को फौरन समर्थन वापस लेना चाहिए. अब वक्त आ गया है जब सभी विधायकों को कुर्सी और किसान में से एक को चुनना पड़ेगा. जो किसान का नहीं है, वह किसी का नहीं हो सकता.
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