सत्यखबर, चढ़ीगड़
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि केन्द्र सरकार ने प्रदेश का ऑक्सीजन कोटा बढ़ाकर 257 मीट्रिक टन कर दिया है, लेकिन राज्य सरकार ने अधिक खपत को देखते हुए इसे बढ़ाकर 300 मीट्रिक टन करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जब तक मांग के अनुसार ऑक्सीजन सप्लाई नहीं मिल जाती तब तक हमें उपलब्ध ऑक्सीजन का सही वितरण सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त होने वाले बीडीपीओ, तहसीलदार और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को एक माह का सेवा विस्तार दिया गया है।
मुख्यमंत्री आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोविड-19 से संबंधित तैयारियों की निगरानी के लिए प्रदेश के सभी जिलों में तैनात वरिष्ठï अधिकारियों तथा उपायुक्तों के साथ इस महामारी से उत्पन्न स्थितियों की समीक्षा कर रहे थे। स्वास्थ्य मंत्री श्री अनिल विज भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बैठक में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि गत तीन दिनों से हालात कुछ ठीक हैं और हमें बेहतर की उम्मीद करनी चाहिए, लेकिन इसके साथ ही बुरी स्थिति के लिए भी तैयार रहना चाहिए। इस समय प्रदेश में ऑक्सीजन के लिए जो मारा-मारी मची हुई है, हमेें उससे निपटना है। इसके लिए बाकायदा टाइम टेबल बना लिया गया है। उपलब्ध ऑक्सीजन के हिसाब से जिलावार कोटा निर्धारित किया गया है और इसकी तीसरी सूची भी कल तक निकाल दी जाएगी जिसमें कोटा फिर से रिवाइज किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक तरफ हमें उपलब्ध ऑक्सीजन का बेहतर तरीके से इस्तेमाल करना है, वहीं स्थानीय स्तर भी इसका प्रबंध करना है। उन्होंने कहा कि अभी पानीपत, रूडक़ी और भिवाड़ी से ऑक्सीजन की सप्लाई हो रही थी। लेकिन आज हमारे पास 6 टैंकर पहुंच चुके हैं जिनमें से 4 हमने अपने पास रख लिए हैं और 2 टैंकर दिल्ली भेजे गए हैं जो कल तक वापस मिल जाएंगे। इसके अलावा, कई इंडस्ट्रीयल प्लांट्स को चिकित्सा इस्तेमाल के लिए ऑक्सीजन उत्पादन का लाइसेंस दिया गया है। ऐसे 51 प्लांट्स ने लाइसेंस के लिए आवेदन किया था, जिसमें से 12-15 को लाइसेंस मिल गया है। उन्होंने जिला उपायुक्तों को ऑक्सीजन का उत्पादन करने वाले और फीलिंग करने वाले प्लांट्स की सूची तैयार करने के निर्देश दिए।
उन्हों ने कहा कि हमें ऑक्सीजन के उपयोग को नियंत्रित भी करना है। देखने में आया है कि कुछ अस्पतालों में मरीजों में रिकवरी हो रही है, लेकिन या तो अस्पताल मरीजों को डिस्चार्ज नहीं करते या फिर मरीज अपने स्वार्थ के लिए डिस्चार्ज नहीं होना चाहते। ऐसे अस्पतालों का बैड ऑडिट किया जाएगा। इसके लिए हर जिले में कमेटी बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि कुछ निजी अस्पतालों द्वारा मरीजों से बैड के अधिक रेट लिए जा रहे हैं, इसलिए सम्बन्धित उपायुक्त इनके रेट निर्धारित करें। साथ ही आटा, दाल और सब्जियों समेत खाद्य सामग्री के रेट भी तय किए जाएं और ज्यादा दाम पर बेचने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
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