सत्य खबर, चण्डीगढ़
आज सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने संसद में बाढसा (झज्जर) एम्स-2 के 10 मंजूरशुदा राष्ट्रीय संस्थानों और मनेठी (रेवाड़ी) एम्स के बारे में आवाज़ उठाई और पूछा कि इन पर काम कब शुरू होगा। इस पर लिखित जवाब में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ भारती प्रवीण पवार ने कहा कि झज्जर में राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के अलावा कोई और प्रस्ताव नहीं है.
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वहीँ, मनेठी एम्स के संबंध में दिये गए मौखिक जवाब में कहा जमीन के विषय में राज्य सरकार से बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा कि मंत्री के जवाब से ऐसा लगता है कि महम इंटरनेशनल एयरपोर्ट और सोनीपत रेल कोच फैक्टी की तरह इन्हें भी बीजेपी सरकार कहीं और उठा ले गई है। उन्होंने हरियाणा सरकार से नाराजगी जताते हुए कहा कि ये इतनी कमजोर सरकार है कि UPA सरकार के समय उनके द्वारा मंजूर कराए गए हरियाणा से सारे महत्त्वपूर्ण संस्थान एक के बाद एक हरियाणा से जाते रहे और इस सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगी।
दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि मनेठी एम्स अभी केवल कागजों पर ही है और हरियाणा सरकार द्वारा केंद्र को अब तक जमीन भी नहीं दी गई। जबकि, वर्ष 2015 में मनेठी (रेवाड़ी) एम्स की घोषणा की गई थी, जिसे 28 फ़रवरी, 2019 को केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी दी गई थी। साथ ही उन्होंने बताया कि 2009 में बाढसा एम्स-2 के 300 एकड़ वाले परिसर में 10 राष्ट्रीय संस्थान बनने की भी घोषणा भूमि पूजन के समय हुई थी और एम्स के वर्किंग प्लान में भी इसको शामिल किया गया था। लेकिन दुःख की बात है कि NCI के अलावा बाकी बचे 10 संस्थानों पर अभी तक कोई काम नहीं किया गया है।
दीपेन्द्र हुड्डा ने झज्जर में एम्स-2 में स्थापना के लिये राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के अलावा प्रस्तावित अन्य 10 राष्ट्रीय संस्थानों के कार्य की स्थिति के साथ ही उसका पूरा ब्यौरा मांगा साथ ही ये भी पूछा कि क्या सरकार ने परियोजना को पूरा करने के लिये कोई समय सीमा निर्धारित की है। इसपर सरकार ने लिखित जवाब में कहा कि झज्जर में राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के अलावा कोई और प्रस्ताव नहीं है। सांसद दीपेन्द्र ने इस बात की पीड़ा व्यक्त की और कहा कि यूपीए सरकार के समय काफी मेहनत से मंजूर कराये गये बाकी बचे 10 संस्थानों के काम में एक इंच भी प्रगति नहीं हुई। वे यूपीए सरकार के समय मंजूर कराये गये इन सभी 10 संस्थानों के निर्माण होने तक चुप नहीं बैठेंगे और पूरी ताकत से इस लड़ाई को लड़ेंगे।
उन्होंने कहा कि वे इस संस्थानों से अंतर्रात्मा से जुड़े हुए हैं। क्योंकि उन्होंने UPA सरकार के समय अथक प्रयास करके इस पूरी स्वास्थ्य परियोजना की परिकल्पना करके उसे मंजूर कराया, बजट दिलवाया, एम्स-2 ओपीडी और NCI का काम कराया। उनके लिये महम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे और सोनीपत रेल कोच फैक्ट्री की तरह ही ये प्रोजेक्ट भी राजनीतिक जीवन के सबसे महत्त्वाकांक्षी प्रोजेक्ट हैं।
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सांसद दीपेन्द्र ने बताया कि एम्स-2 बाढ़सा परिसर में उन्होंने कुल 11 संस्थान मंजूर कराये थे, यदि ये सारे संस्थान बनते तो इससे हरियाणा व आस पास के करोड़ों लोगों को न केवल बेहतरीन चिकित्सा सुविधाएं मिलती, लोगों का जीवन बचाने में भी सहायता मिलती बल्कि बड़ी संख्या में रोजगार भी मिलता। एम्स-2 बाढ़सा परिसर में हज़ारों करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले संस्थानों में 710 बेड वाले राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (NCI) के अलावा –
1. नेशनल कार्डियोवैस्कुलर सेंटर – 600 बेड
2. नेशनल सेंटर फॉर चाइल्ड हेल्थ – 500 बेड
3. नेशनल ट्रांस्प्लांटेशन सेंटर – 500 बेड
4. जनरल पर्पस हॉस्पिटल – 500 बेड
5. डाइजेस्टिव डिजीज सेंटर – 500 बेड
6. नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर जिरियाटिक्स – 200 बेड
7. सेंटर फार ब्लड डिसार्डर – 120 बेड
8. कॉम्प्रिहेंसिव रिहेबिलिटेशन सेंटर
9. सेंटर फॉर लेबोरेटरी मेडिसिन
10. नेशनल सेंटर फॉर नर्सिंग एजुकेशन एंड रिसर्च
दीपेन्द्र हुड्डा ने एम्स-2 परियोजना के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि उन्होंने काफी प्रयासों के बाद इस बड़े प्रोजेक्ट को हरियाणा के खाते में जुड़वाया था। प्रदेश का बच्चा-बच्चा जानता है कि दिल्ली वाले एम्स से भी बड़े एम्स-2 को 300 एकड़ में बनाने की परिकल्पना की गयी तो सबसे पहले फरवरी 2009 में तत्कालीन केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. अंबुमणि रामदौस जी ने एम्स-2 को बाढ़सा में बनाने की सहमति दी। 2012 में तत्कालीन केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद जी ने एम्स-2 ओपीडी के उद्घाटन के साथ ही घोषणा की कि यहां एशिया ही नहीं, पूरे विश्व का सबसे बड़ा स्वास्थ्य परिसर बनेगा।
उन्होंने आगे कहा कि जब कैंसर संस्थान की योजना धरातल पर आयी तो उस समय बहुत से मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री इसे अपने राज्य में ले जाना चाहते थे, मगर अथक प्रयासों से जुलाई 2013 में योजना आयोग से राष्ट्रीय कैंसर संस्थान को मंजूरी मिली। 26 दिसम्बर, 2013 को भारत सरकार की कैबिनेट ने 2035 करोड़ रुपया मंजूर करके परियोजना को मंजूरी दी। इसके बाद रिकार्ड एक हफ्ते के अंदर 3 जनवरी 2014 को प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी ने इसका शिलान्यास करके इसके काम की शुरुआत की।
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