सत्यखबर, चंडीगढ़, रिजवान
हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने केंद्र सरकार द्वारा दिए गए आर्थिक पैकेज को देशवासियों के साथ एक छलावा और सभी वर्गों को निराश करने वाला बताया है। कुमारी सैलजा ने कहा कि इस आर्थिक पैकेज से देश और प्रदेश के किसानों, प्रवासी मजदूरों, उद्योगों, कर्मचारियों और मध्यम परिवारों को घोर निराशा हाथ लगी है। इस पैकेज से कोरोना महामारी और इसके चलते लगाए गए लॉकडाउन में उपजे आर्थिक संकट में इन वर्गों को खासी उम्मीद थी, लेकिन सरकार ने उन्हें असहाय ही छोड़ दिया है।
कुमारी सैलजा ने कहा कि किसान आज जिस दशा में है और जिस गतिरोध से गुजर रहा है, उसे देखते हुए केंद्र सरकार के आर्थिक पैकेज की घोषणा बिल्कुल ही अपर्याप्त है। कर्ज उपलब्ध करवाना ही कोई समाधान नहीं हैl सरकार की घोषणा से किसानों पर ऋण का बोझ बढ़ेगा। बीते दिनों पहले बारिश और ओलावृष्टि फिर महामारी के चलते लगाए लॉकडाउन के कारण किसानों की फसल, सब्जी और दूध बर्बाद हुआ है, इसकी भरपाई कैसे होगी।
कुमारी सैलजा ने कहा कि किसानों को पूरी तरह ऋण माफी,न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद, डीजल के दामों में कमी, बीज और कीटनाशकों पर सब्सिडी, फसल का तुरंत भुगतान और उन्हें हाथों में कम से कम 10 हजार सीधी नकदी द्वारा राहत मिलनी चाहिए थी। जो भी घोषणा की गई, वह सभी पुरानी हैं। ग्रामीण क्षेत्र की सामाजिक सुरक्षा मजबूत करने की बात कही गई है, लेकिन वह कब होगा इसका कोई जिक्र नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे किसानों और ग्रामीण क्षेत्र को भारी निराशा हाथ लगी है।
कुमारी सैलजा ने कहा कि इस बजट इस आर्थिक पैकेज से सरकार बेबस प्रवासी मजदूरों और गरीबों को राहत देने में विफल रही है। आज इस माहमारी में प्रवासी मजदूर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं, लाखों की संख्या में रोजगार खो चुके मजदूर भूखे प्यासे पैदल ही चलकर अपने पैतृक स्थानों पर जा रहे हैं। पहले वह जो अपने पैतृक स्थानों पर लौट चुके हैं तथा नौकरियां तलाश कर रहे हैं, दूसरे वह जो अभी भी बेरोजगारी और बिना पैसे के शहरों में फंसे हुए हैं, सरकार को चाहिए था कि न्यूनतम बुनियादी आय की गारंटी देने की कोई घोषणा करती, लेकिन वह नहीं किया गया।
इस महामारी में सबसे प्रभावित प्रवासी मजदूरों को सरकार द्वारा बड़ी राहत दी जानी चाहिए थी, लेकिन सरकार ने इनके लिए 20 लाख करोड़ के पैकेज में से केवल 3500 करोड़ रुपए की मदद दी, वह सहायता भी नकद नहीं बल्कि सिर्फ राशन के तौर पर, जो भी बिल्कुल नाकाफी है। यह इनके साथ सरकार का भद्दा मजाक है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि वह उद्योगों, संस्थानों और इकाइयों को अपनी निजी भूमि पर किफायती किराए के आवास परिसर विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करेगी। लेकिन यह अंतर राज्य प्रवासी श्रमिक अधिनियम में पहले से ही एक प्रावधान है, जिसके तहत प्रत्येक ठेकेदार को प्रवासी श्रमिकों के लिए उपयुक्त आवासीय सुविधा प्रदान करनी होगी। मनरेगा की मजदूरी 20 रूपये बढ़ाने की घोषणा पहले ही हो चुकी है।
पैकेज में मनरेगा के तहत वर्तमान में मजदूरों की 100 दिनों की मजदूरी को बढ़ाकर 200 दिन करने के बारे घोषणा करनी चाहिए थी और इन्हें इसका अग्रिम भुगतान करना चहिए था, लेकिन यह भी नहीं किया गया। केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने इसी वर्ष जनवरी माह में बताया था कि एक राष्ट्र एक राशन कार्ड 16 राज्यों में लागू हो चुका है। वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पैकेज की घोषणा के वक्त कह रही हैं कि जी पासवान जी का नहीं हमारा पैकेज है।
इस पैकेज के हिसाब से प्रवासी मजदूरों के लिए प्रति व्यक्ति पांच किलो अनाज,प्रति परिवार एक किलो चना दाल प्रति माह दो महीने के लिए दिया जाएगा। यह इन परिवारों के लिए बिल्कुल ही अपर्याप्त है। प्रति व्यक्ति दस किलो अनाज, एक किलो चना दाल अगले छह महीने तक मुफ्त में कम से कम सरकार को देना चाहिए। इसके साथ ही प्रवासी मजदूरों, गरीबों को प्रति माह दस हजार रूपए की सीधी नकद सहायता देनी चाहिए।
केंद्र सरकार द्वारा लघु सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योगों के लिए घोषित पैकेज एक छलावा है। इसका फायदा सिर्फ कुछ ही इकाइयों को मिलेगा, जबकि बड़ी संख्या में छोटी इकाइयों को छोड़ दिया गया है। मध्यम वर्ग के लिए भी इस पैकेज में कुछ नहीं है।
कुमारी सैलजा ने कहा कि आज माहमारी के इस दौर में देशवासियों के साथ यह पैकेज एक छलावा है, पुरानी योजनाओं को दोहराकर लोगों को गुमराह किया गया है और इससे सभी वर्गों को घोर निराशा हाथ लगी है। इस पैकेज से मांग और खपत बढ़ाने में कोई मदद नहीं मिलेगी। समय की मांग है कि खासतौर पर सबसे गरीब…
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