चंडीगढ़। हरियाणा सरकार द्वारा राज्य में शराब पर कोविड सेस लगाने का मामला विवाद में आ गया है। सरकार के इस फैसले को हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर चुनौती दी गई है। सोमवार को हाई कोर्ट की जस्टिस दया चौधरी एवं जस्टिस मीनाक्षी आई मेहता की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर पूछा कि क्यों न हाई कोर्ट सरकार के कोविड सेस के आदेश पर रोक लगा दे। हाई कोर्ट ने सरकार को इस मामले में 10 जुलाई तक जवाब दायर करने का समय दिया है। इस मामले में मैसर्स हरियाणा वाइंस ने अपनी याचिका में कहा कि सरकार द्वारा कोविड सेस (उपकर) लगाना अनुचित है।याचिकाकर्ता कंपनी ने हाई कोर्ट को बताया कि 2020-21 की एक्साइज पॉलिसी के तहत लगाई गई बोली के बाद उन्हेंं ठेके अलॉट हुए हैं। ठेके अलॉट किए जाते समय इस सेस का कोई जिक्र तक नहीं था, लेकिन सरकार ने छह मई को अपनी इस एक्साइज पॉलिसी में संशोधन कर कोविड सेस लगाए जाने का निर्णय कर लिया।
याचिकाकर्ता कंपनी का आरोप है कि जब पॉलिसी के तहत उन्हेंं पहले ही ठेके अलॉट हो चुके हैं और उनका सरकार से समझौता हो चुका है तो बाद में सरकार सिर्फ अपने स्तर पर पॉलिसी में बदलाव कैसे कर सकती है। याचिकाकर्ता कंपनी का आरोप है कि वह पॉलिसी के तहत पहले ही अपनी लाइसेंस फीस जमा करवा चुके हैं, जिसमें सभी टैक्स पहले ही शामिल हैं। ऐसे में अब इस कोविड सेस का उन पर अलग से बोझ डाला जा रहा है, जबकि अगर यह सेस लगाना ही था तो इसे फर्स्ट प्वाइंट ऑन सेल यानी होलसेलर पर लगाना चाहिए, जबकि सरकार ने यह सेस रिटेलर्स पर लगा दिया है और इस सेस को लगाए जाने के बाद एमआरपी भी नहीं बढ़ाया गया है।
Aluminium scrap supply and demand Aluminium scrap industry challenges Metal recycling reclamation