कृषि कानूनों के खिलाफ एक महीने से ज्यादा समय से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों और सरकार के बीच आज अगले दौर की बातचीत होगी…सरकार और किसानों के बीच सातवें दौर की वार्ता से पहले भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने अपने तेवर जाहिर कर दिए हैं…उन्होंने कहा कि किसानों ने इस आंदोलन को अपने दिल से लगा लिया है…अगर किसानों की मांगे पूरी नहीं होती तो सरकार सोच भी नहीं सकती कि फिर क्या होगा….उन्होंने कहा कि विरोध के दौरान अब तक 60 किसान अपनी जान गंवा चुके हैं। हर 16 घंटे में एक किसान मर रहा है। इसका जवाब देना सरकार की जिम्मेदारी है।
बता दें कि अब तक केंद्र सरकार और किसान यूनियनों के बीच छह दौर की वार्ता हो चुकी है। हालांकि, कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीत जारी गतिरोध अभी तक समाप्त नहीं हो सका है। किसान संगठन सितंबर में संसद द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों को लगातार निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। 30 दिसंबर को छठे दौर की वार्ता के दौरान प्रदर्शनकारी किसानों और केंद्र सरकार के बीच चार मुद्दों में से दो पर सहमति बन गई थी। दोनों पक्षों में प्रस्तावित बिजली कानून, पराली जलाने से संबंधित मुद्दों पर सहमति बनी। हालांकि, गतिरोध दो मुख्य मांगों पर अभी भी जारी है। वहीं, 2 जनवरी को करीब 40 किसान संगठनों ने धमकी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो किसान अपने ट्रैक्टर, ट्रॉलियों और अन्य वाहनों के साथ 26 जनवरी को दिल्ली में मार्च करेंगे..ब्यूरो रिपोर्ट
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