दिवाली को लेकर आप भी है कंफ्यूज तो पढ़िए यह खबर
सत्य खबर, चण्डीगढ़ ।
हिंदू धर्म में दिवाली को ‘दीपों की रोशनी’ का पर्व माना जाता है. पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि पर दीपावली मनाई जाती है. इस दिन पूरे देश को दीयों की रोशनी से रौशन करते हुए धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश को पूजा जाता है. लेकिन इस बार तिथि को लेकर सभी जगह असमंजस बना हुआ है. आइए जानते हैं उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज से महाकाल नगरी में कब यह पर्व मनाया जायगा.
पंडित आनंद भारद्वाज ने बताया कि 31 अक्टूबर को ही दीपावली क्यों मनाई जानी चाहिए, इसके पीछे उज्जैन के ज्योतिषाचार्यों का मत है कि 31 अक्टूबर की शाम 4.03 बजे के बाद अमावस्या लग जाएगी. जबकि, 1 नवंबर को अमावस्या शाम 5.38 बजे तक ही रहेगी, 5.46 से सूर्यास्त होगा. दीपावली मनाने की परंपरा और पूजन रात को ही होता है. ऐसे में 1 नवंबर को नहीं, 31 अक्टूबर को अमावस्या लग रही है तो इसी दिन दीपावली मनानी चाहिए.
महाकाल मंदिर के पंडित महेश पुजारी बताते है कि महाकाल के दरबार से ही उज्जैन मे हर पर्व की शुरुआत होती है. कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर तड़के चार बजे भस्म आरती में दीपावली मनाई जाती है. इसी के साथ इस बार भी 31 अक्टूबर को भस्म आरती में भगवान महाकाल को तिल्ली, केसर, चंदन का उबटन लगाकर गर्म जल से स्नान कराया जाएगा. इसके बाद नवीन वस्त्र धारण कराकर सोने चांदी के आभूषण से विशेष शृंगार किया जाएगा. अन्नकूट का भोग लगाकर फुलझड़ी से आरती की जाएगी. शाम को चतुर्दशी युक्त अमावस्या के संयोग में दीपोत्सव मनेगा.बाबा के दरबार मे इसलिए सुबह से ही भक्तो का ताता देखने को मिलेगा.