सत्य ख़बर :
उज्जैन/दताना-मताना हवाई पट्टी पर पायलट ट्रेनिंग देने, नेताओं और बड़े जनप्रतिनिधियों से लेकर वीआईपी लोगों को लाने ले जाने के भी सब्जबाग नालंदा एविएशन कंपनी ने दिखाए थे।
एडीएम अनुकूल जैन ने बताया कि कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम के आदेश पर कंपनी का अनुबंध समाप्त कर दिया गया है और जमा राशि जब तक कर ली गई है में तीन एयरक्राफ्ट मौके पर खड़े हैं उन्हें भी राजसात कर लिया गया है इस तरह की बड़ी कार्रवाई होने से भाजपा सरकार से लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों के उन दावों पर सावले निशान खड़े हो रहे हैं जिन्होंने उज्जैन को विकास के पंख लगने की बात कही थी।
दरअसल उज्जैन बताना बताना हवाई पट्टी पर पायलट ट्रेनिंग के लिए डीजीसीए (डायरेक्टर जनरल सिविल एविएशन नई दिल्ली) से बिहार की उन्नत नालंदा एविएशन प्रालि कंपनी का अनुबंध हुआ था। लिहाजा कंपनी ने ट्रेनिंग के लिए चेन्नई से दो हवाई जहाज (सेशना वन 7 टू आर फोर सीटर, अमेरिका के लेटेस्ट डिजिटल माॅडल) मंगवा लिए । बाद में पांच और बुलवाए । इसके अलावा अन्य जरूरी सुविधाओं तथा तैयारियों पर भी कंपनी यहां करोड़ों रुपए खर्च कर चुकी हैं। इतना सब कुछ होने के बाद भी कंपनी ना तो सुचारू तौर पर हवाई पट्टी चालू कर पाई न स्टूडेंट्स को ट्रेनिंग दे पाई और ना ही हवाई पट्टी को हवाई अड्डा बनाने में सरकार को कामयाबी मिली और इधर मंगलवार को जो कार्रवाई कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम द्वारा की गई उसने सारी व्यवस्थाओं और दावो की पोल खोल कर रख दी।
गौरतलब है कि इससे पहले यहां यश एयरवेज कंपनी ट्रेनिंग दिया करती थी। फिल्म अभिनेता सलमान खान के भाई सोहेल खान भी यहां ट्रेनिंग ले चुके हैं। 19 अगस्त 19 को बिहार की कंपनी को ट्रेनिंग के लिए टेंडर अवार्ड पारित हुआ था। चूंकि अधिकांश वक्त कोरोना काल में चले जाने से इस कंपनी का काम बंद रहा।
हवाई पट्टी पर कंपनी ने यह काम करवाए
उज्जैन दताना मताना हवाई पट्टी पर पार्किंग एरिया में 4 से बढ़ाकर 14 हजार स्क्वेयर फीट में ब्लॉक लगवा दिए गए ।तीन से चार सर्व सुविधायुक्त ट्रेनिंग कक्ष तैयार किए गए,चीफ फ्लाइंग इंस्पेक्टर, एकाउंटेबल मैनेजर, फायर ब्रिगेड, एंबुलेस, अन्य सहयोगी स्टॉफ आदि के लिए कक्ष व आफिस बनाए गए ।कंट्रोल टॉवर तैयार किया गया।फ्यूल स्टोरेज बिल्डिंग नई बनाई गई इनके अलावा कई और कार्य यहां किए जा रहे हैं।पायलट ट्रेनिंग का कोई सत्र नहीं रखा बल्कि स्टूडेंट काे लाइसेंस तब मिलता है जब वह ट्रेनिंग के लिए तय घंटों तक उड़ान भर लेता है, जिसे फ्लाइंग हावर कहते हैं।जो ट्रेनिंग दी जाना थी वह सीपीएल (कमर्शियल पायलेट लाइसेंस) के लिए थी,, ये ट्रेनिंग 200 घंटे सिंगल इंजन पर और 15 घंटे डबल इंजन पर उडान के पूरा करने पर पूरी मानी जाती है। तभी लाइसेंस मिलता है। अनुमान है कि ये ट्रेनिंग एक से डेढ़ वर्ष में पूरी हो जाती है।इसके अलावा यहां दो तरह की पायलेट ट्रेनिंग और भी दी जानी थी, इसमें 50 घंटे की ट्रेनिंग पीपीएल (पर्सनल पायलेट लाइसेंस) के लिए और 20 घंटे की ट्रेनिंग एसपीएल (स्टूडेंट पायलेट लाइसेंस) की ट्रेनिंग की भी सुविधा के दावे कम्पनी ने किए थे। ट्रेनिंग के लिए फिजिक्स, कैमेस्ट्री व मैथ्स में 12वीं उत्तीर्ण स्टूडेंट के आवेदन मंगाए थे। प्रशिक्षणार्थियों के लिए आवासीय सुविधा की भी बात कही कंपनी ने कही थी। ट्रेनिंग के लिए उज्जैन-इंदौर सहित अन्य शहरों से स्टूडेंट पूछताछ करने आने भी लगे थे। कंपनी ने पहली बैच 25 से 30 स्टूडेंट की शुरू करने के दावे किए थे। ट्रेनिंग के नियम कहते हैं कि 10 स्टूडेंट पर एक पायलट व एक मास्टर पायलट होना चाहिए। ट्रेनिंग शुरू करने के लिए कम से कम तीन हवाई जहाज भी जरूरी है।
सबसे अहम और खास बात यह कि सीपीएल ट्रेनिंग में कितना खर्च आएगा? इसके जवाब में दावा किया गया कि अन्य शहरों की तुलना में यहां कम फीस ली जाएगी। आरक्षित स्टूडेंट को छात्रवृत्ति, शासन की तरफ से छूट व बैंक से लोन आदि की सुविधा भी देने की बात कही थी।
ये ऐसे हवाई जहाज हैं जिनका इंजन बंद होने पर भी इन्हें ग्लेड करके आराम से नीचे उतारा जा सकता है। इससे दुर्घटना का अंदेशा नहीं रहता है। इन जहाज के अंसेबल के बाद इन्हें उड़ाने के लिए डीजीसीए के भोपाल-मुंबई व दिल्ली के दफ्तर से परमिशन मिलना थी।Dream of becoming a pilot shattered in Ujjain