सत्य खबर, दिल्ली
हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab-Haryana High Court) ने अहम फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि केवल सुसाइड नोट में नाम होना किसी को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी साबित करने का पूर्ण आधार नहीं हो सकता। इसके साथ में उकसाने का कारण, मकसद व आरोपी का घटना से रिश्ता साबित करना अनिवार्य होता है।
मामला जालंधर का है जब मार्च 2019 को याची हरभजन के रिश्तेदार के साथ मंजीत लाल का झगड़ा हो गया था और मंजीत लाल को बेइज्जत कर उससे मारपीट की गई थी। इसके बाद उसे जालंधर के अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। इसके तीन माह बाद मंजीत लाल ने आत्महत्या कर ली थी।
आत्महत्या के बाद पुलिस को वहां से एक सुसाइड नोट मिला था, जिसमें याची हरभजन का नाम भी था। इस नोट के अनुसार बेइज्जती से आहत होकर मंजीत ने जान दी थी। पुलिस ने हैंड राइटिंग एक्सपर्ट से जांच करवाई तो सामने आया कि यह नोट मंजीत ने ही लिखा था।
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इसी आधार पर पुलिस ने एफआईआर में याची का नाम शामिल किया। याची ने कहा कि मार्च 2019 की FIR में याची का नाम तक नहीं था। इसके साथ ही ऐसा कोई कारण नहीं है जिसकी वजह से याची मंजीत को परेशान करता हो। हाईकोर्ट ने याची व राज्य सरकार की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि केवल सुसाइड नोेट में नाम होना ही किसी पर केस के लिए काफी नहीं है। इसके साथ कई तथ्यों को देखना बेहद जरूरी है। इन टिप्पणियों के साथ ही हाईकोर्ट ने याची पर दर्ज एफआईआर को खारिज कर दिया।
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