सत्य खबर/नई दिल्ली:
ओडिशा में बीजेपी-बीजेडी गठबंधन खटाई में पड़ गया. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनमोहन सामल के अकेले लड़ने की घोषणा से दोनों दलों के बीच गठबंधन की आखिरी उम्मीद भी खत्म हो गयी. मनमोहन ने ट्वीट कर जानकारी दी कि बीजेपी ओडिशा की सभी 21 लोकसभा और 147 विधानसभा सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ेगी. इससे पहले जिस तरह से मोदी सरकार को कई राष्ट्रीय मुद्दों पर संसद में ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक से समर्थन मिलता रहा, उससे दोनों पार्टियों के रणनीतिकारों को उम्मीद थी कि इस बार चुनाव में दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन होगा.
इसी फॉर्मूले पर मामला तय हुआ
सूत्रों के मुताबिक, एक रणनीति के तहत इस बात पर सहमति बनी कि बीजेपी लोकसभा में ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी और विधानसभा में बीजेडी को तरजीह दी जाएगी. इस फॉर्मूले के तहत बीजेपी ओडिशा की 16 सीटों पर और बीजेडी 5 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करना चाहती थी. यहीं से गठबंधन न होने की पहली समस्या सामने आने लगी, क्योंकि बीजेडी बीजेपी को 11 या 12 से ज्यादा सीटें नहीं देना चाहती थी.
2 सीटों से बढ़ी खटास
इसके बाद दूसरी और आखिरी लड़ाई बनी ओडिशा की दो सीटें जिन पर दोनों पार्टियों के बीच मुकाबला हुआ. पहली सीट थी भुवनेश्वर की, जिसे पिछली बार बीजेपी की अपराजिता सारंगी ने जीता था, लेकिन बीजेडी चाहती थी कि बीजेपी भुवनेश्वर की जगह कटक सीट अपने कोटे में ले ले, लेकिन अब बीजेपी इस सीट को किसी भी हालत में छोड़ना नहीं चाहती थी.
इसके साथ ही दूसरी सीट जिस पर दोनों पार्टियां लड़ रही थीं वह पुरी की सीट थी. पिछली बार बीजेडी उम्मीदवार पिनाकी मिश्रा ने बीजेपी के संबित पात्रा को हराया था, लेकिन इस बार बीजेपी यह सीट अपने कोटे में चाहती थी, जिस पर बीजेडी अड़ी हुई थी.
ऐसे में कई दौर की बातचीत के बाद जब बीजेपी और बीजेडी दोनों अपने-अपने रुख पर अड़े रहे तो आखिरकार दोनों पार्टियों ने ओडिशा में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया.