चंडीगढ़। हरियाणा में अब जेई भर्ती परीक्षा के परिणाम पर सवाल उठाए गए हैं। इस परीक्षा के परिणाम को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चुनाैती दी गई है। हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा सरकार, हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग,राज्य सैनिक बोर्ड व सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
नियमों के खिलाफ चयन का आरोप
इस मामले में झज्जर निवासी सुमित कुमार व अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कमीशन द्वारा 6 जून को कनिष्ठ अभियंता के 1624 पदों के चयन के परिणाम को चुनौती दी है। याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट को बताया कि कमीशन ने ईएसएम कोटे के तहत एक दर्जन से अधिक अयोग्य उम्मीदवारों का चयन कर उनको नियुक्ति दी है। मामले में बहस के दौरान याचिकाकर्ता के वकील कुलदीप श्योराण ने बेंच को बताया कि जब पिछले साल जून में कनिष्ठ अभियंता के 1624 पदों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया उसमें ईसीएम/डीईसीएम (पूर्व सैनिक/ पूर्व सैनिक का आश्रित) कोटे के 122 पद आरक्षित किए गए थे। हरियाणा सरकार द्वारा साल 1998 व 2001 में जारी दिशा निर्देश व हाई कोर्ट द्वारा दिए गए गई फैसले के आधार पर राज्य सैनिक बोर्ड ने यह आदेश जारी किया हुआ है कि ईसीएम/डीईसीएम कोटे का लाभ जीवन में केवल एक बार अनुबंध,ठेके,एडहॉक व नियमित सेवा के लिए लिया जा सकता है। इस मामले में एक दर्जन से अधिक ऐसे उम्मीदवारों का नियमित भर्ती के लिए कोटे के तहत सलेक्शन किया गया जो पहले ही इस कोटे का लाभ ले चुके है। यह सभी उम्मीदवार 2017 में सिंचाई विभाग द्वारा अनुबंध के आधार पर जेई भर्ती में ईसीएम/डीईसीएम कोटे का लाभ ले चुके है और अभी कर्मचारी चयन आयोग द्वारा परिणाम घोषित करने से पहले सिंचाई विभाग में कार्यरत थे। नियमित चयन के बाद उनको उसी विभाग में नियुक्ति दे दी गई। याची ने स्टाफ सलेक्शन कमीशन, सिंचाई विभाग व अन्य कई स्तर पर मांग पत्र देकर इसकी शिकायत कर इन उम्मीदवारों को इस कोटे के तहत चयन रद करने की मांग की, लेकिन किसी ने उसकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की। हाई कोर्ट के जस्टिस मंजरी नेहरू कौल ने याचिका पर सुनवाई करते हुए सभी प्रतिवादी पक्ष व आरोपी चयनित उम्मीदवारों को 18 अगस्त के लिए नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
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