सत्य खबर
रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी (Republic TV Editor-in-Chief Arnab Goswami) की अंतरिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Suprem Court) में सुनवाई चल रही है। इस दौरान अर्नब गोस्वामी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे (Harish Salve) ने मामले की जांच सीबीआइ (CBI) के कराने की मांग की है। अर्नब ने बांबे हाई कोर्ट द्वारा जमानत से इन्कार किए जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘यदि हम एक संवैधानिक न्यायालय के रूप में स्वतंत्रता की रक्षा नहीं करते हैं, तो कौन करेगा?… अगर कोई राज्य किसी व्यक्ति को लक्षित करता है, तो एक मजबूत संदेश देने की आवश्यकता है… हमारा लोकतंत्र असाधारण रूप से लचीला है।
अर्नब की जमानत याचिका पर बहस के दौरान हरीश साल्वे ने कहा कि द्वेष और तथ्यों को अनदेखा करते हुए राज्य की शक्तियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। इस मामले में मई 2018 में एफआइआर दर्ज की गई थी। दोबारा जांच करने के लिए शक्तियों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। बांबे हाई कोर्ट ने इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाईक को आत्महत्या के लिए कथित रूप से उकसाने के मामले में अर्नब और दो अन्य लोगों को अंतरिम जमानत देने से इन्कार करते हुए उन्हें राहत के लिए स्थानीय अदालत जाने को कहा था।
बता दें कि अलीबाग पुलिस अर्नब की पुलिस हिरासत चाहती है। इसकी मांग करते हुए अभियोजन पक्ष के विशेष सरकारी वकील पी घरात ने कहा कि अर्नब की गिरफ्तारी जरूरी थी, क्योंकि अन्वय की आत्महत्या से पहले लिखे गए पत्र में उनका नाम था। यदि गिरफ्तारी जरूरी नहीं होती, तो मजिस्ट्रेट न्यायिक हिरासत में उनसे पूछताछ की अनुमति नहीं देते।
अर्नब के वकीलों की ओर से मंगलवार दोपहर ही रायगढ़ सत्र न्यायालय में जमानत अर्जी दाखिल कर दी गई थी। अर्जी में अर्नब ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा है कि जिस आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया है, उसकी पूरी जांच पहले हो चुकी है। रायगढ़ पुलिस इस मामले में 2019 में अपनी ए-समरी (क्लोजर रिपोर्ट) रायगढ़ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में जमा कर चुकी है। जमानत अर्जी में कहा गया है कि आवेदक जांच एजेंसियों से पूर्ण सहयोग करने को तैयार है।
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अर्नब ने स्वीकार किया है कि अन्वय की कंपनी कानकार्ड एवं उनकी कंपनी एआरजी के बीच व्यावसायिक करार हुआ था। इसके तहत कानकार्ड द्वारा उनके स्टूडियो में कुछ काम किया जाना बाकी था। इसलिए एआरजी ने कानकार्ड के 74,23,014 रुपयों का भुगतान रोक दिया था। लेकिन यह मामला दो कंपनियों के बीच था।
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