सत्य खबर, चंडीगढ़
सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर निर्माण के मामले में हरियाणा सरकार पंजाब के साथ अब सीधे टकराव के मूड में है। हरियाणा सरकार ने कानूनी सलाह के बाद तय कर लिया है कि पंजाब सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट का फैसला लागू नहीं करने पर यह अवमानना याचिका दायर होगी।
एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन के कार्यालय के अनुसार अवमानना याचिका दायर करने के लिए सभी कानूनी औपचारिकता पूरी कर ली गई है। संभवत: इसी सप्ताह याचिका दायर कर दी जाएगी। एसवाईएल पर सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2002 में हरियाणा के पक्ष में फैसला दिया था। इसके बाद 2003 में केंद्र सरकार के लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) को यह नहर बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके तुरंत बाद पंजाब ने विवादास्पद और अवैध एक्ट पास कर सभी समझौते रद कर दिए।
वर्ष 2004 से 2016 तक यह मामला अटका रहा। वर्ष 2016 में फिर से सुप्रीम कोर्ट ने एसवाईएल के पानी पर हरियाणा का हक माना, लेकिन पंजाब न तो नहर बना रहा है और न ही हरियाणा को उसके हिस्से का पानी दे रहा है। इस मामले को हवा तब मिली, जब पंजाब ने चंडीगढ़ पर दावा कर दिया। इसके जवाब में हरियाणा ने चंडीगढ़ पर अपना दावा बरकरार रखते हुए एसवाईएल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला लागू कराने की मांग की।
हरियाणा विधानसभा में पास हुआ था निंदा प्रस्ताव
पंजाब और हरियाणा के बीच राजधानी, एसवाईएल का मुद्दा और हिंदी भाषाई 108 गांवों का मुद्दा सालों पुराना है। राजधानी और एसवाईएल का विवाद 1966 से ही है, जब पंजाब-हरियाणा का अलग-अलग गठन हुआ। 56 साल में पंजाब ने 7वीं बार इस प्रस्ताव को विधानसभा में पेश किया।
पंजाब ने 1967, 1970, 1978, 1985, 1986, 2014 में भी प्रस्ताव पास किया, जबकि हरियाणा ने एसवाईएल पर 2000 से अब तक पांच बार प्रस्ताव पास किया। सतलुज युमना लिंक नहर बनाने का मामला सुप्रीम कोर्ट में भी चला और कोर्ट ने पंजाब सरकार को नहर बनाने के आदेश भी जारी किए, परंतु पंजाब ने नहर बनाने के बजाय नहर पाट दी और विधानसभा में प्रस्ताव पास कर जमीनें किसानों को लौटा दी।
एक अप्रैल को पंजाब विधानसभा ने चंडीगढ़ पर पंजाब का अधिकार जताते हुए प्रस्ताव पास किया और गृह मंत्रालय के पास भेज दिया, जिस पर हरियाणा को अपने हिस्से का पानी मांगने के लिए मजबूर होना पड़ा।बाक्स 41 बार एग्जीक्यूशन आर्डर के लिए सुनवाई एसवाईएल पर वर्ष 2016 में हरियाणा के हक में फैसला आया था। उसके बाद से सुप्रीम कोर्ट में 41 बार एग्जीक्यूशन आर्डर के लिए सुनवाई हो चुकी है।
नहर निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट से एग्जीक्यूशन आर्डर देना है। सरकार ने इस पर जल्द सुनवाई के लिए भी याचिका लगाई हुई है। इसके अलावा प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट में लिखित में देगी कि पंजाब के मुख्यमंत्री के साथ बैठक संभव नहीं है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट अपने स्तर पर फैसले को लागू कराए।
याचिका का ड्राफ्ट तैयार हो चुका
हरियाणा के महाधिवक्ता बलदेव राज महाजन का कहना है कि एसवाईएल मामले में हम सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर करने जा रहे है। याचिका का ड्राफ्ट तैयार हो चुका है। याचिका को फाइनल करते ही इस सप्ताह के अंत या अगले सप्ताह के शुरुआत में याचिका दायर कर दी जाएगी।
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