सत्यखबर हरियाणा (अशोक छाबड़ा) – हरियाणा की भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार किसानों को अधिक ब्याज वाले कर्ज के दलदल से बाहर निकालना चाहती है। सरकार का मानना है कि कर्ज माफी समस्या का समाधान नहीं है, लेकिन सस्ते कर्ज के जरिये किसानों की आमदनी बढ़ाने की योजनाएं बनानी चाहिए। इसके लिए सरकार का पहला कदम किसानों को आढ़तियों के चुंगल से बाहर निकालने का होगा। सरकार के पास ऐसी कई रिपोर्ट हैं, जिनके आधार पर कहा जा सकता है कि किसानों से आढ़ती कर्ज का मोटा ब्याज वसूल करते हैं।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और कृषि मंत्री जेपी दलाल ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में माना कि किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार चिंतित है, लेकिन साथ ही कहा कि हम आढ़तियों व किसानों के बीच के रिश्तों के भी खिलाफ नहीं हैं। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2022 तक किसानों की आय में बढ़ोतरी की योजना पर प्रदेश सरकार आगे बढ़ रही है। इसके लिए सरकार ने पूरा खाका तैयार कर लिया है।
मुख्यमंत्री के अनुसार सरकार सहकारी बैंकों में ऐसे किसानों की कर्ज की लिमिट बढ़ाने पर गंभीरता से विचार कर रही है, जिन्होंने किसी दूसरी एजेंसी से लोन नहीं ले रखा है। उन्होंने हालांकि पूरी तरह स्पष्ट नहीं किया, लेकिन सीएम का इशारा आढ़तियों की तरफ ही था। मनोहर लाल ने बताया कि यदि किसान सहकारी बैंक से बढ़ी हुई लिमिट के आधार पर कर्ज उठाएंगे तो उन्हें सस्ता पड़ेगा, जबकि दूसरी प्राइवेट एजेंसियों से कर्ज काफी महंगा पड़ता है।
मनोहर लाल ने एक सवाल के जवाब में बताया कि इस बार किसानों की मर्जी से आढ़तियों ने उन्हें पूर्व में दिए 1790 करोड़ रुपये काटे हैं। यह पैसा वह है, जो किसानों ने अपने कार्यों के लिए आढ़तियों से लिया था। यह ज्यादा भी हो सकता है, क्योंकि किसानों ने पूरा पैसा कटवा दिया होगा, इसकी संभावना काफी कम है। किसानों के खाते में इस पैसे को काटने के बाद 9923 करोड़ रुपये गए हैं। उन्होंने बताया कि यदि आढ़ती द्वारा किसान को उसकी गेहूं का पेमेंट समय से नहीं दिया जाता तो तीन दिन छोड़कर बाकी दिनों के लिए 15 फीसदी वार्षिक की दर से ब्याज देना होगा।
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