सत्यखबर
कृषि कानूनों के विरोध के नाम पर गणतंत्र दिवस पर प्रस्तावित ट्रैक्टर परेड में शामिल उपद्रवियों ने देश को शर्मसार कर दिया। परेड के लिए तय रूट को छोड़ हुड़दंगी दिल्ली के मध्य तक घुस आए और जमकर उपद्रव किया। लाल किले पर धावा बोलकर उपद्रवियों ने वहां केसरिया झंडा लगा दिया। इस दौरान रोकने की कोशिश कर रहे पुलिसकर्मियों पर उपद्रवियों ने पथराव करने के साथ रॉड और तलवारों से हमला किया। इतना ही नहीं, इंडिया गेट और लाल किले की तरफ बढ़ते समय रोकने पर हुड़दंगियों ने आइटीओ चौराहे पर जवानों व मीडियाकर्मियों पर ट्रैक्टर चढ़ाने की कोशिश भी की।
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उपद्रव में 83 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, जिन्हें उपचार के लिए लोकनायक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उपद्रवियों की इस करतूत ने किसानों के नाम पर दो महीने से चल रहे आंदोलन और इसके पीछे की मंशा पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। हिंसा के बाद किसान नेताओं ने खुद को उपद्रव से अलग कर लिया। योगेंद्र यादव ने तो यहां तक कह दिया कि मैं शर्मिदा हूं और इसकी जिम्मेदारी लेता हूं।गणतंत्र दिवस पर देश ही नहीं, पूरे विश्व ने दिल्ली की सड़कों पर जो उपद्रव देखा, वैसा पहले कभी नहीं देखा गया था। इन बेलगाम हुड़दंगियों ने पूरे देश को शर्मसार कर दिया। सिघु, टीकरी व गाजीपुर बार्डर से हजारों प्रदर्शनकारी आइटीओ और लाल किले तक पहुंच गए। लाल किले के प्राचीर पर चढ़कर उपद्रवियों ने पुलिसकर्मियों के सामने केसरिया झंडा लगा दिया।
आइटीओ पर स्टंट करते हुए बैरिकेड में जोरदार टक्कर मारने की कोशिश में ट्रैक्टर पलट गया, जिससे ट्रैक्टर चला रहे उत्तर प्रदेश के रामपुर निवासी नवरीत सिंह की मौके पर मौत हो गई। दिल्ली में जगह-जगह बैरिकेड के रूप में इस्तेमाल की गई डीटीसी बसें, डंपर, दिल्ली पुलिस की बसें, पीसीआर वैन और बैरिकेड तोड़ दिए गए। इस सब के बावजूद दिल्ली पुलिस संयम बरते रही। हालांकि उपद्रवियों को नई दिल्ली की तरफ आने से रोकने व अन्य जगहों पर उन्हें नियंत्रित करने के लिए लाठी चार्ज करना पड़ा और आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े।
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