सत्य खबर हरियाणा
यूजीसी ने 30 अगस्त तक यूजी-पीजी की परीक्षाएं कराने के आदेश दिए हैं,जबकि इससे पहले हरियाणा सरकार प्रमोट करने का फैसला ले चुकी है। अब स्टूडेंट्स की चिंता बढ़ गई है। अब प्रदेश के विवि से राय लेकर फैसला होगा। कुलपतियों ने दोनों तरह के विकल्प सुझाए हैं।
कुछ कुलपतियों ने कहा कि परीक्षा करानी चाहिए, ताकि स्टूडेंट्स की योग्यता पर सवाल न उठे। कुछ ने कहा कि प्रमोट करना बेहतर विकल्प है। विशेषज्ञ परीक्षा कराने पर सहमत नहीं हैं, वे प्रमोट करने के पक्ष में हैं।
प्रदेश के फाइनल ईयर के करीब 8-10 लाख स्टूडेंट्स को प्रभावित होना पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि देशभर के 945 में से 194 विवि परीक्षा करा चुके हैं। 366 विवि अगस्त-सितंबर की योजना बना रहे हैं। इधर,सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड अलख आलोक श्रीवास्तव ने यूजीसी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें कोरोना पॉजिटिव एक छात्र समेत 31 स्टूडेंट्स की ओर से याचिका लगाई है। इसमें 5 मुद्दों को शामिल किया है। उन्होंने मांग की है कि बच्चों की सभी परीक्षाएं रद्द कर सीबीएसई की तर्ज पर परिणाम घोषित किया जाए।
छात्रों को दोनों विकल्प देने चाहिए
गुड़गांव विश्वविद्यालय के कुलपति, डॉ. मार्कण्डेय ने कहा कि सरकार ने यूजीसी की गाइडलाइन पर प्रमोट की पॉलिसी बना दी। अब यूजीसी ने फैसला बदल दिया। बच्चों को दोनों विकल्प दे दिए जाएं कि जो प्रमोट होना चाहता है वह प्रमोट हो जाएं,इसमें औसत अंक मिलेंगे,जो अच्छे नंबर से पास होना चाहता है वह परीक्षा दे सकें।
यूजीसी को नजरअंदाज करना मुश्किल
सीआरएसयू,जींद के कुलपति, प्राे. राजबीर सोलंकी ने कहा कि यूजीसी को नजरअंदाज करना मुश्किल है। परीक्षा का निर्णय फायदेमंद रहेगा। इससे प्रदेश के बच्चों की डिग्री का महत्व बढ़ जाएगा। यूजीसी ने ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड पर परीक्षा करवाने की बात कही है। अभी समय छात्रों को तैयार किया जा सकता है।
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डिग्री की बराबरी को परीक्षा कराएं
वाईएमसीए विवि,फरीदाबाद के कुलपति, प्रो. दिनेश ने कहा कि बीच का रास्ता निकालना चाहिए, जिससे यूजीसी की गाइडलाइन की पालना हो सके। परीक्षा को चाहे ऑनलाइन करवाएं या अन्य किसी तरीके से करवाई जाए, तो स्टूडेंट्स ने तीन से पांच साल तक जो मेहनत की है, वह खराब ना जाए। परीक्षा कराना अच्छी बात है।
अभी दोनों विकल्प पर हो चर्चा
बीपीएस महिला विवि खानपुर की कुलपति,प्रो. सुषमा ने कहा कि परीक्षा कराना सरल नहीं है। बच्चे दूर-दूर से आते हैं, उनके लिए हॉस्टल की व्यवस्था करना, यात्रा करना मुश्किल है। विवि की रैंकिंग व क्रेडिबिलिटी पर असर पड़ता है। परीक्षा कराने का आग्रह नहीं करना चाहिए। असाइनमेंट,या 5 प्रश्न देकर एनालिसिस कराया जाए।
सभी परीक्षाएं रद्द की जाएं : छात्र संगठन
एनएसयूआई के प्रवक्ता अमन वशिष्ठ, एआईडीएसओ के प्रधान हरीश कुमार, इनसो के प्रदेशाध्यक्ष प्रदीप देशवाल फाइनल की परीक्षाएं कराने का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक हालात सामान्य न हो, तब तक किसी भी विद्यार्थी की परीक्षा न ली जाए।
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ये हैं 5 मुद्दे
यूजीसी के आदेश को तत्काल खारिज किया जाए।
फाइनल इयर की परीक्षाओं को रद्द किया जाए।
स्टूडेंट्स को परफॉर्मेंस पर नतीजा दिया जाए।
यूजी व पीजी का फाइनल परिणाम 31 तक दें।
जॉब अवसर-दाखिला को खो ना सके,सुनिश्चित हो।
कुलपतियों से ली जा रही राय : शिक्षामंत्री
शिक्षामंत्री कंवर पाल ने कहा कि यूजीसी की ओर से जो गाइडलाइन दी है,उसे लेकर अभी विवि के कुलपतियों से राय ली जा रही है। चूंकि प्रदेश के हर जिले में अलग-अलग स्थिति हैं। सभी कुलपति जो सुझाव देंगे,उसके अनुसार फैसला लिया जाएगा।
विशेषज्ञ बोले- परीक्षा से स्टूडेंट्स को फायदा
पूर्व कुलसचिव एवं एमडीयू केे अंग्रेजी विभाग के पूर्व एचओडी प्रो. एसपीएस दहिया कहते हैं कि छठे सेमेस्टर की पढ़ाई नहीं हुई तो परीक्षा किस बात की। उन्हें 5 सेमेस्टर केे परिणाम की औसत के आधार पर परिणाम जारी कर दिया जाए। यदि कोई विवि यूजीसी की पालना नहीं करता तो उस पर मात्र दो हजार रुपए तक दंड लगता है। विदेशाें में अधिकतर विवि ने ऑनलाइन एग्जाम किया है,अब हमारे बच्चे विदेश में जाएंगे तो उनकी डिग्री को प्रमोशन की डिग्री ना माना जाए,इसलिए प्रतिद्वंद्वता के समय में परीक्षा करानी चाहिए।
डिग्री की वैलिडिटी के लिए परीक्षा जरूरी
एमडीयू के पूर्व कुलपति प्रो. बीके पुनिया कहते हैं कि बार-बार बदलने वाले फैसले से बच्चों का मेंटल मेकअप बन चुका है कि परीक्षा न देकर काम चल जाए, लेकिन बच्चों को मिलने वाली डिग्री की वैलिडिटी के लिए जरूरी है कि ऑनलाइन-ऑफलाइन परीक्षा कराई जाए। किताब से देखकर स्टूडेंट्स परीक्षा देंगे तो भी उन्हें पढ़ना तो फिर भी पड़ेगा। सीधे तौर पर फाइनल की परीक्षा कराई जाए,ताकि डिग्री पर प्रश्न चिन्ह ना लग सके।
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