सत्यखबर सफीदों
देश के करोड़ों लोगों की आस्था की प्रतीक श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में बनने वाले भव्य श्रीराम मंदिर निर्माण शिलान्यास समारोह को लेकर सफीदों क्षेत्र के रामभक्तों में भी भारी उत्साह देखा जा रहा है। खासकर उन लोगों में जिन्होंने कहीं ना कहीं इस आंदोलन में अपनी आहुति दी थी। यहां के रामभक्त इस अलौकिक दृश्य को अपने नेत्रों से देखना तो चाहते हैं लेकिन विधि के विधान द्वारा लिखित कोरोना महामारी के चलते वे वहां पर जा नहीं पा रहे हैं। उन लोगों के नेत्र सजल है जो कभी इस श्रीराम मंदिर में आंदोलन में कूद पड़े थे और आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों इस भव्य मंदिर की नींव रखी जा रही है। ये वे लोग हैं जो परिवार, सुख-सुविधाओं व भूख-प्यास को त्यागकर एक झोला उठाकर अयोध्या जी के लिए कूच कर गए थे। आज वे लोग उन संस्मरणों को याद करके भावविभोर हो रहे हैं और हर्ष के उन्माद में सरोबार हैं।
अपनी यादों को ताजा करते हुए वर्तमान में हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के सदस्य एडवोकेट विजयपाल सिंह का कहना है कि इस आंदोलन में कूच करने के लिए वे घर से चले गए थे। सन् 1990 में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जेल में 14 दिन कैद में भी रहे थे लेकिन आज भी इस बात की खुशी है कि वे इस रामकाज में अपना योगदान दे पाए थे। उन्होंने बताया कि इसी दौरान महामंडलेश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज भी अलीगढ़ जेल में बंद रहे थे। उन्होंने कहा कि आज केंद्र व प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार भी प्रभु श्रीराम के आशीर्वाद से ही है। वे स्वयं भी जो कुछ हैं उसके पीछे भी मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम की कृपा है। उन्होंने कहा कि अभी तो राममंदिर की शुरुआत है और शीघ्र ही राममंदिर का निर्माण का सपना पूरा होगा। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे आज बुधवार को अपने घरों व प्रतिष्ठानों पर दीप जलाकर खुशियां मनाएं।
वहीं हरियाणा गौसेवा आयोग के सदस्य श्रवण कुमार गर्ग भी इस आंदोलन के लिए अयोध्या के लिए घर से अपने साथियों के साथ चले गए थे। वे बताते हैं कि मुझे आज भी याद है कि जब पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी मंदिर निर्माण आंदोलन हेतु अपनी रथयात्रा को लेकर निकले थे और उनके सारथी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही थे। उस मौके स्वयं उन्होंने इस रथयात्रा की खानसर चौंक सफीदों पर अगुवाई की थी और एक विशाल कार्यक्रम नगर के ऐतिहासिक महाभारतकालीन नागक्षेत्र सरोवर मंदिर पर आयोजित किया गया था। इसके अलावा इसी आंदोलन से जुड़े पुरानी अनाज मंडी सफीदों में आयोजित हुए शीलापूजन का कार्यक्रम भव्य रहा तथा रामज्योति रथयात्रा का यहां आगमन पर जोरदार स्वागत किया गया था।
इन्हीं यादों की कड़ी में सफीदों निवासी और वर्तमान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वदेशी जागरण मंच के प्रकल्प हमारा परिवार को दिल्ली के संघ मुख्यालय से राष्ट्रीय स्तर पर संचालित कर रहे सुरेंद्र अरोड़ा ने बताया कि वह 1986 से 1992 तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जींद जिला कार्यवाह रहे हैं।
उन्होंने अपने कुछ साथियों के साथ अयोध्या कारसेवा के लिए कूख्च किया था लेकिन गाजियाबाद पहुंचते ही पुलिस बल द्वारा उनकी टीम को ट्रेन से उतारकर एक अस्थाई जेल में बंद कर दिया गया लेकिन वह स्वयं और नारायण गांधी रात में ही जेल की दीवार फांदकर किसी तरह से कानपुर पहुंच गए थे। वहां से ट्रेन पकडक़र मोतीगंज रेलवे स्टेशन पर पहुंचे ही थे कि पुलिस द्वारा उन्हें फिर से उतार दिया गया। कई दिनों तक भूखे-प्यासे पैदल चलकर पुलिस से छिपते-छिपाते सरयू तट तक पहुंचे गए थे लेकिन वहां पर पुलिस द्वारा उन्हें आगे नहीं जाने दिया गया। उन्होंने कहा कि जिस तरह से रामसेतु निर्माण में गिलहरी ने अपना योगदान दिया था, ठीक हमारा प्रयास भी उसी प्रकार का रहा है।
इन महानुभावों का भी रहा योगदान
राममंदिर निर्माण आंदोलन में सफीदों क्षेत्र के बहुत से महानुभावों का भी कहीं ना कहीं योगदान रहा है। इन महानुभावों में मा. रघुवीर शरण, सुरेश दीवान, रामचंद्र शर्मा, मोहनलाल छिब्बड़, ला. भगवान दास मित्तल, रामरतन शर्मा बुड्ढाखेड़ा, सूरत सिंह साहनपुर, हरिराम कुरड़, जोगध्यान गोयल, नारायण गांधी, शिवचरण गर्ग, जयप्रकाश गोयल, जितेंद्र गर्ग, हरगोविंद व राममेहर शर्मा, करतार सहल, ला. परमेश्वरी दास गुप्ता, प्रमोद गौत्तम, विद्यासागर गर्ग, डा. पोखरदास, राममेहर शर्मा, संजीव गौत्तम व प्राणनाथ शर्मा प्रमुख रूप से शामिल है।
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