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हरियाणा CM शहरी निकाय स्वामित्व योजना के तहत MCG में हुए बंपर घोटाले की शिकायत पहुंची लोकायुक्त। मांगा जवाब?

सत्य ख़बर,गुरुग्राम,सतीश भारद्वाज:

हरियाणा प्रदेश में पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर द्वारा व्यापारियों को एक योजना के तहत दिया गया नायाब तोहफा निगम निगम गुड़गांव के भ्रष्ट अधिकारियों के लिए जी का जंजाल बन गया है। जिस योजना के तहत गुरुग्राम सदर बाजार में 20 साल से ज्यादा समय से बैठे तहबाजारी के दुकानदारों को मलिकाना हक देने में निगम अधिकारियों द्वारा योजना में हुए 1 लाख करोड़ रुपए के घोटाले की शिकायत हरियाणा के लोकायुक्त दरबार में पहुंच चुकी है। जिससे नगर निगम गुड़गांव में तैनात भ्रष्ट व लापरवाह अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। यहां तक की यूएलबी निदेशालय के अधिकारी भी गुरुग्राम निगम में बैठे अधिकारियों को बार-बार रिपोर्ट सबमिट करने के लिए पत्र भेज चुके हैं, लेकिन फिर भी गुड़गांव निगम के अधिकार के पास कोई भी जवाब नहीं बन पा रहा है, जिसको लेकर कई दफा लोकायुक्त में भी अधिकारीयो कड़ी फटकार लगा चुकी है। लेकिन फिर भी पिछले करीब 6 महीने से नगर निगम के पास कोई जवाब ही नहीं बन पा रहा है। जिसकी पिछली सुनवाई लोकायुक्त चंडीगढ़ में 9 अक्टूबर को हुई थी। जिसमें
हरियाणा लोकायुक्त ने फटकार लगाते हुए मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना में गुड़गांव में हुए व्यापक भ्रष्टाचार की शिकायत पर कड़ा संज्ञान लेते हुए जवाब मांगा है, गौरतलब है इस मामले में एक तरफ तो निगम कमिश्नर बड़े-बड़े दावे करते हैं की नगर निगम गुड़गांव के एनफोर्समेंट विंग ने इस मामले की जांच भी की है परंतु जब उनसे भ्रष्टाचार के सबूत के साथ जवाब मांगा जाता है तो वह इस मामले में पिछले छह महीने से जवाब दाखिल नहीं कर पा रहे हैं। यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि लोकायुक्त अधिकारियों पर क्या कार्रवाई करता है।

बता दें कि सीएम शहरी स्थानीय निकाय स्वामित्व योजना में गुरुग्राम के सदर बाजार में हुए गड़बड़ घोटाले की शिकायत एक स्थानीय निवासी ने दो एक लोकायुक्त दरबार में लगाई है जिसमें उन्होंने करीब दो दर्जन आरटीआई से लिए हुए दस्तावेज बतौर सबूत के तौर पर लोकायुक्त में भेजे हुए हैं। जिसमें निगम अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार होने का साफ खुलासा होता नजर आ रहा है। हालांकि इस योजना के तहत हुई घोटाले की जांच के भी दावे किए जा रहे हैं लेकिन जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति ही की गई है। चर्चा इस बात की है कि निगम में जो विजिलेंस के जांच अधिकारी लगे हुए हैं वह स्वयं ही फरीदाबाद में भी एक भ्रष्टाचार के मामले में सुर्खियों में रहे हैं। वहीं इस योजना में हुए भ्रष्टाचार में गुरुग्राम के कई भाजपा के बड़े नेताओं के भी नाम उजागर हुए थे। जिनको भी राजनीतिक दबाव के कारण प्रशासन ने दबा दिया। यहां तक की जिला प्रशासन ने उसके बारे में स्वयं ही मिडिया में प्रेस नोट जारी कर यह खुलासा किया था कि शिकायतकर्ता शहर में ही नहीं रहता है। बार-बार संपर्क करने के बाद भी उससे कोई संपर्क नहीं हो सका है। हालांकि निगम में फैलै भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए गुरुग्राम में जो भी अधिकारी या मंत्री आते रहे सभी ने भ्रष्टाचार दूर करने के दावे तो बहुत किए है, लेकिन वह सब मीडिया की सुर्खियां ही बनकर रह गई है। अब देखना यह होगा कि भाजपा की नई नायब सैनी सरकार में जो भी मंत्री बनते हैं वह नगर निगम में फैलै भ्रष्टाचार को रोकने में कितने कामयाब हो पाते हैं।

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