सत्यखबर
दिल्ली हिंसा के बाद टिकरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन में किसानों की संख्या
जो कम हो गई थी वह अब धीरे-धीरे बढऩे लगी है। किसान दिल्ली हिंसा के लिएकेन्द्र सरकार को दोषी ठहरा रहे है और कह रहे है कि दिल्ली में जो कुछ भी हुआ वह एक तरह से किसानों को बदनाम करने की साजिश थी। जबकि
दिल्ली हिंसा से किसानों का कोई लेना-देना नहीं है।
https://sat.magzian.com/%e0%a4%9c%e0%a5%80%e0%a4%82%e0%a4%a6-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%86%e0%a4%a2%e0%a4%bc%e0%a4%a4%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a5%8b%e0%a4%82-%e0%a4%ae%e0%a5%81%e0%a4%a8%e0%a5%80%e0%a4%ae-%e0%a4%ae/
किसानों ने तो निर्धारित रूट पर अपनी ट्रैक्टर परेड़ की और वापिस आंदोलन स्थल पर लौट आए।इसी के चलते झज्जर जिले के गांव लड़ायण में एतिहासिक जाखड़ खाप के चबूतरे पर एक महापंचायत का आयोजन कर जाखड़ खाप के लोगों ने टिकरी बॉर्डर कूच का फैसला लिया। रविवार को काफी संख्या में जाखड़ खाप के ट्रैक्टरों में सामान लेकर किसानों ने टिकरी बॉर्डर की ओर कूच किया। किसानों ने कृषि कानूनों को एक बार फिर से काले कानूनों की संज्ञा दी। किसानों का कहना था कि यह काले कानून जब तक रद्द नहीं होंगे तब तक वह धरनास्थल पर डटे रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि कृषि कानूनों के विरोध मेें किसानों में वहीं उत्साह और जनून बरकरार है जोकि गणतंत्र दिवस से पहले था।
Aluminium scrap mechanical treatments Aluminium scrap recycling value Metal distribution center