सत्य खबर बरोदा
2019 के चुनाव में जेजेपी प्रत्याशी भूपेंद्र मलिक को मिले 32000 वोट सबसे अधिक चर्चा का विषय बने हुए हैं। इन वोटों पर हर पार्टी अपना दावा ठोक रही है और यह कह रही है कि आगामी विधानसभा उपचुनाव में यह वोट उनके प्रत्याशी को मिलेंगे जिसके चलते उनकी जीत पक्की रहेगी। भूपेंद्र मलिक इन्हीं वोटों के बलबूते पर जहां टिकट का मजबूत दावा ठोक रहे हैं वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस और इनेलो भी इन वोटों को अपना बताते हुए अपने खाते में शामिल कर रहे हैं। 32 हजार वोटों की यह दावेदारी बरोदा के उपचुनाव में निर्णायक संख्या साबित होने जा रही है
32000 का आंकड़ा क्यों है खास
2019 के विधानसभा चुनाव में जेजेपी प्रत्याशी भूपेंद्र मलिक को 32 हजार वोट हासिल हुए थे।
कांग्रेस प्रत्याशी श्रीकृष्ण हुड्डा 42000 वोट लेकर चुनाव जीते थे। भाजपा प्रत्याशी 37000 वोट लेकर दूसरे नंबर पर रहे थे। इस समय बीजेपी और जेजेपी गठबंधन सरकार चल रही है जिसके चलते गठबंधन 37000 और 32000 वोटों को जोड़कर 80 हजार की संख्या सामने रखते हुए उपचुनाव में अपनी एकतरफा जीत का दावा कर रही है। यह 32000 वोट जिधर जाएंगे उधर ही जीत का पलड़ा भारी हो जाएगा।
जेजेपी इन्हीं 32000 वोटों के बलबूते पर भूपेंद्र मलिक को गठबंधन का प्रत्याशी बनाने की मांग कर रही है। जेजेपी नेताओं का तर्क है कि अगर जेजेपी प्रत्याशी को टिकट दी गई तो बीजेपी के वोटबैंक के साथ मिलकर बड़ी जीत का खाका तैयार हो जाएगा। भूपेंद्र मलिक दिग्विजय चौटाला के साथ विधानसभा क्षेत्र का लगातार दौरा करते हुए अपनी दावेदारी का दावा मजबूत दावा ठोक रहे हैं।
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इनेलो का दावा
इनेलो नेताओं का कहना है कि भूपेंद्र मलिक को मिले 32000 वोट जन नायक चौधरी देवी लाल के विचारधारा से जुड़े हुए हैं। इनेलो नेता 1977 से लेकर 2014 तक का आंकड़ा रखकर यह बता रहे हैं कि इस हलके में देवीलाल परिवार का सबसे मजबूत जनाधार रहा है। उनका कहना है कि 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के विरोध में यह वोट पड़े थे और यह वोटर जेजेपी के बीजेपी के साथ गठबंधन करने के कारण खुश नहीं है और इसलिए आगामी विधानसभा चुनाव में यह भाजपा के विरोध में जाएंगे और कांग्रेस के साथ बराबर की दूरी होते हुए वे इनेलो प्रत्याशी को समर्थन देने का काम करेंगे। इन्हीं वोटरों के बलबूते पर इनेलो अपनी जीत पक्की मान रही है।
कांग्रेस का दावा
कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि भूपेंद्र मलिक कांग्रेस के ही बागी प्रत्याशी थे। स्वर्गीय विधायक श्रीकृष्ण हुड्डा के खिलाफ लोकल और बाहरी का मुद्दा गरमाने के चलते काफी संख्या में कांग्रेसी वोटरों ने भूपेंद्र मलिक को वोट दिए थे। यह वोटर भाजपा के विरोध में लामबंद हुए थे इसलिए आगामी विधानसभा चुनाव में यह वोटर किसी भी कीमत पर भाजपा के साथ नहीं जाएंगे और कांग्रेस प्रत्याशी को समर्थन देकर एकतरफा जीत का रास्ता तैयार करेंगे।
32000 वोट बरोदा का सबसे निर्णायक “फैक्टर”
सार यह है कि जेजेपी प्रत्याशी भूपेंद्र मलिक को मिले 32000 वोट बरोदा उपचुनाव का सबसे निर्णायक “फैक्टर” है। यह वोटर ही तय करेंगे कि उपचुनाव के दंगल में जीत किसको नसीब होगी। यह सही है कि यह 32000 वोट पूरी तरह से भाजपा विरोधी थे। इन वोटरों में जेजेपी के 6000 वोटों के अलावा श्रीकृष्ण हुड्डा के विरोधी वोट भी थे और भूपेंद्र मलिक की कड़ी मेहनत वह मैनेजमेंट के वोटर भी थे। उपचुनाव में इन वोटरों को गठबंधन के पक्ष में ले जाना आसान नहीं होगा।
अगर गठबंधन ने भूपेंद्र मलिक को प्रत्याशी नहीं बनाया तो यह वोटर गठबंधन के खिलाफ भी जा सकते हैं। भूपेंद्र मलिक को मिले वोटों में आधे से अधिक संख्या कांग्रेसी विचारधारा से जुड़े हुए वोटरों की थी और उन्होंने लोकल और बाहरी के मुद्दे पर भूपेंद्र मलिक को वोट दिए थे। यह वोटर उपचुनाव में कांग्रेस के पाले में जा सकते हैं। 32000 वोट ही हार जीत का फैसला काम करेंगे। इसलिए तीनों पार्टियां इन वोटरों पर अपना अधिकार जता रही हैं। जो भी पार्टी इन वोटरों के सबसे ज्यादा संख्या अपने पक्ष में लामबंद करने में सफल रहेगी उसी की जीत का दावा प्रबल हो जाएगा।
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