सत्यखबर सफीदों
सफीदों उपमंडल के गांव रजाना कलां मे सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जारी हुई सूचना मे खुलासा हुआ है कि इस गांव दर्जनों लोग बूढे नहीं लेकिन वे समाज कल्याण विभाग से वृद्धावस्था पेंशन का लाभ ले रहे हैं। इस गांव के सामाजिक कार्यकर्ता दलबीर बैरागी ने विभाग से इस आशय की सूचना मांगी थी जिसमे यह खुलासा हुआ है। उसने बताया कि बार- बार की गई शिकायतों पर प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की तो उसने कार्रवाई के निर्देश को हाईकोर्ट मे याचिका दायर की है जिसमें प्रशासन के पक्ष को नोटिस जारी किया गया है। उसने बताया कि इस गांव मे अनेक ऐसे लोगों से घूस लेकर उन्हें बुढ़ापा पैंशन दी जा रही है।
ऐसा भी सामने आया है कि जो 55 वर्ष के भी नहीं वे पैंशन प्राप्त कर रहे है, जबकि बुढ़ापा पैंशन के लिए निर्धारित न्यूनतम आयु 60 वर्ष है। दलबीर बैरागी ने बताया कि इस पैंशन घोटाले का पर्दाफाश करने के लिए जनवरी 2020 में जिला समाज कल्याण अधिकारी से सूचना के अधिकार के तहत पैंशन लाभार्थियों के संबंध में सूचना मांगी थी परंतु अधिकारियों ने घोटाले को छिपाने के लिए सूचना नहीं थी। उसके बाद पर जिला व स्थानीय अधिकारियों से मिला लेकिन कहीं से कोई रास्ता नहीं मिला और अधिकारियों ने इस मामले की जांच बार-बार जिला समाज कल्याण अधिकारी को भेज दी गई।
दलबीर ने सवाल उठाया कि जिस विभाग पर ही घोटाले का आरोप है वह सही प्रकार से जांच कैसे कर सकता है। काफी अपीलों व संघर्ष के बाद उसे सूचना तो मिली लेकिन वह भी आधी-अधूरी प्राप्त हुई। दलवीर बैरागी ने बताया कि उसने इस संबंध में मुख्य सचिव हरियाणा, पुलिस महानिदेशक, अपराध शाखा विभाग, उपायुक्त जींद व पुलिस अधीक्षक जींद को भेजी लेकिन कहीं से भी कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उसने माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की शरण ली, जहां से नोटिस जारी हुआ है। बता दें कि इस उपमंडल के गांव मुआना में भी घूस देकर बुढ़ापा पैंशन जारी किए जाने की चर्चाएं जोरों पर हैं जहां सम्बन्धित विभागीय कर्मचारियों के दर्जन भर एजैंट काम कर रहे हैं।
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