सत्य खबर चंडीगढ़।
हरियाणा में अवैध तरीके से रजिस्ट्रियों का खेल हालांकि बरसों से चल रहा है, लेकिन लॉकडाउन की अवधि में जमकर रजिस्ट्रियां हुई। ये रजिस्ट्रियां करने में न तो नियमों का ध्यान रखा गया और न ही जिला नगर योजनाकारों (डीटीपी) से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लिए गए। प्राथमिक तौर पर हरियाणा के 32 शहरी निकायों के कंट्रोल एरिया में हुई रजिस्ट्रियों में गड़बिडय़ां पाई गई हैं।
प्ग्रामीण इलाकों में कृषि भूमि तथा शहरी इलाकों में अवैध कालोनियों के प्लाटों की हुई रजिस्ट्रियां
प्रदेश सरकार हालांकि इसे घोटाला मानने को तैयार नहीं है और इन्हेंं अनियमितताएं देकर अपना पल्ला झाड़ रही है,लेकिन पूरे प्रदेश में करीब 30 हजार रजिस्ट्रियां गलत ढंग से होने की रिपोर्ट है। इन रजिस्ट्रियों में करोड़ों रुपये के घोटाले की बू आ रही है।
रजिस्ट्री घोटाले में डीसी से लेकर रजिस्ट्रेशन क्लर्क तक आधा दर्जन अधिकारियों की बड़ी चेन शामिल
प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में कृषि भूमि तथा शहरी इलाकों में अवैध कालोनियों के प्लाटों की अवैध रजिस्ट्रियां हुई हैं। इन रजिस्ट्रियों को अंजाम तक पहुंचाने में पूरी ‘चेन’ ने काम किया है। इस चेन में डीसी, डीटीपी, एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पटवारी, कानूनगो और रजिस्ट्रेशन क्लर्क (आरसी) तक शामिल हैं। सबसे महत्वपूर्ण कड़ी तहसीलदार, नायब तहसीलादर और रजिस्ट्रेशन क्लर्क को माना जाता है।
एनसीआर के गुरुग्राम, फरीदाबाद, झज्जर, बहादुरगढ़, पलवल और सोनीपत में जमीन काफी महंगी है। इसलिए यहां बड़े खेल हुए हैं, जबकि बाकी शहरों करनाल, अंबाला, हिसार, सिरसा, कुरुक्षेत्र और जींद में भी रजिस्ट्रियों में भ्रष्टाचार की शिकायतें सामने आई हैं।
किसी भी रजिस्ट्री में पहले तहसीलदार की फोटो लगनी अनिवार्य थी, मगर लाकडाउन में जितनी रजिस्ट्रियां हुई हैं, उनमें अधिकतर में तहसीलदारों की फोटो नहीं लगी है। हरियाणा शहरी कंट्रोल एरिया एक्ट की धारा सात ए में प्रावधान है कि 1200 गज से ऊपर की जमीन की बिना एनओसी रजिस्ट्री हो सकती है, जबकि इससे कम जमीन की रजिस्ट्री के लिए एनओसी जरूरी है। अवैध कालोनियों में प्लाटिंग करने के बाद उन्हेंं 1200 गज से ऊपर की जमीन दिखा दिया गया और उस जमीन के अलग-अलग पार्टनर दर्शाते हुए उसकी रजिस्ट्रियां कर दी गई।
तहसीलदारों ने तय कर रखे रजिस्ट्रियों के रेट
हरियाणा में रजिस्ट्रियों के लिए तहसीलदारों ने रेट तय कर रखे हैं। कई तहसीलदार जमीन की कुल कीमत का दो प्रतिशत लेते हैं, जबकि कई ऐसे हैं, जो 200 से 300 रुपये प्रति गज की दर से अपना हिस्सा लेते हैं। आरोप लगाया जाता है कि यह पैसा विधायकों व सांसदों के साथ-साथ विभाग के उच्च अधिकारियों में बांटा गया है। कई ऐसे विधायक, जिन्हेंं अपना हिस्सा लेने में दिक्कतें आई, उन्होंने इस घोटाले की पोल खोल दी। हालांकि राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि भले ही घोटाला सामने आया, लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इसकी जांच कराने की पहल कर अच्छे संकेत दिए हैं।
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पोस्टिंग के लिए मोटा माल खर्चते हैं अफसर
हरियाणा का कोई जिला ऐसा नहीं है, जहां रजिस्ट्रियों में गड़बड़ नहीं हुई है। अकेले फरीदाबाद में करीब डेढ़ हजार तथा गुरुग्राम जिले में करीब दो हजार रजिस्ट्रियां हुई हैं। फरीदाबाद, गुरुग्राम, सोनीपत, झज्जर, बहादुरगढ़, पलवल, मेवात, अंबाला, पानीपत, हिसार, सिरसा और फतेहाबाद जिले ऐसे हैं, जिनमें पोस्टिंग के लिए तहसीलदारों व जिला राजस्व अधिकारियों में मारामारी रहती है। गुरुग्राम व फरीदाबाद दो जिले ऐसे हैं, जहां से रजिस्ट्रियों के रूप में मोटा पैसा लिया जाता है। यहां जमीनें महंगी हैं। अधिकारी भी मोटा माल-पानी देकर इन जिलों में पोस्टिंग हासिल करने में कामयाब हो जाते हैं।
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