सत्यखबर, चढ़ीगढ़
आपको बता दे की हरियाणा विधानसभा का एक दिवसीय मानसून सत्र कोरोना के साये में करीब तीन घंटे (2 घंटे 55 मिनट) तक चला, जिसमें कांग्रेस ने दो बार और इनेलो ने एक बार वाकआउट करते हुए भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए। छींटाकशी, बहस और हंगामे के बीच विधानसभा में 13 संशोधन विधेयक रखे गए, जिसमें से 12 पास हो गए। एजेंडे में सिर्फ नौ संशोधन बिलों का ही जिक्र था। ऐसा पहली बार हुआ, जब मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष की गैर मौजूदगी में सत्र शुरू किया गया। हरियाणा में पहली बार किसी उप मुख्यमंत्री ने सदन के नेता के रूप में विधानसभा की कार्यवाही का नेतृत्व किया। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कोरोना पाजिटिव होने की वजह से डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला को मानसून सत्र में कार्यवाही का नेतृत्व करने का मौका मिला।
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विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता भी कोरोना संक्रमित हैं
विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता भी कोरोना संक्रमित हैं। उनके स्थान पर उपाध्यक्ष रणबीर गंगवा ने विधानसभा की कार्यवाही का संचालन किया। हरियाणा में 16 साल के लंबे अंतराल के बाद दुष्यंत चौटाला के रूप में देवीलाल और ओमप्रकाश चौटाला के परिवार के किसी सदस्य ने विधानसभा की कार्यवाही का नेतृत्व किया। मुख्यमंत्री मनोहर लाल, विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता, परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा और कृषि मंत्री जेपी दलाल सहित नौ विधायक कोरोना संक्रमित हैं। मानसून सत्र शुरू होने से पहले सुबह विधानसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में तय किया गया कि कोरोना संक्रमण की वजह से सत्र की अवधि छोटी की जाए। उप मुख्यमंत्री दुष्यंत, विधानसभा उपाध्यक्ष रणबीर गंगवा, संसदीय कार्य मंत्री कंवरपाल गुर्जर, गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज तथा विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मौजूदगी में हुई बैठक में सत्र एक दिन तक चलाने पर सहमति बनी।
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कई कांग्रेस विधायकों ने कहा कि सत्र की अवधि बढ़ाई जानी चाहिए।
विधानसभा में जब इसकी जानकारी दी गई तो कई कांग्रेस विधायकों ने कहा कि सत्र की अवधि बढ़ाई जानी चाहिए। इस पर अनिल विज ने कहा कि उनके नेता ने ही सत्र की एक दिन की अवधि पर सहमति बनाई है। इसलिए वे या तो अपने नेता की बात मानें या फिर हुड्डा को नेता मानना छोड़ दें।विधानसभा में संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान कई बार हंगामे की स्थिति बनी। रजिस्ट्रियों में कथित घोटाले पर भी विपक्ष हमलावर रहा, लेकिन दुष्यंत चौटाला ने बिंदुवार जिस ढंग से हर सवाल का जवाब दिया, उससे विपक्ष शांत हो गया। सदन के नेता के रूप में दुष्यंत चौटाला विधानसभा में मौजूद थे मगर मुख्यमंत्री की कुर्सी खाली थी। सबसे कम उम्र में सांसद बनने का श्रेय लेने वाले दुष्यंत चौटाला को सबसे कम उम्र में सदन का नेता बनने का श्रेय भी हासिल हुआ है।
विधानसभा में कोरोना संक्रमण को आधार बनाते हुए इस बार प्रश्नकाल नहीं हुआ।
विधानसभा में कोरोना संक्रमण को आधार बनाते हुए इस बार प्रश्नकाल नहीं हुआ। कार्यवाहक अध्यक्ष गंगवा ने सदन को जानकारी दी कि सभी तारांकित और अतारांकित सवालों के जवाब सदन के पटल पर रख दिए गए हैं। प्रश्नकाल नहीं होने पर कांग्रेस विधायकों ने नाराजगी जाहिर की और अपनी सीटों पर खड़े हो गए। गृह मंत्री अनिल विज की तलख टिप्पणियों व गंगवा के समझाने पर वे बैठक गए।दुष्यंत जब सदन की कार्यवाही को चला रहे थे, तब उनमें गजब का आत्मविश्वास दिखाई दे रहा था। खास बात यह थी कि सदन की कार्यवाही के संचालन के दौरान दुष्यंत चौटाला को बार-बार गृह मंत्री अनिल विज का भी साथ मिल रहा था। कई बार दुष्यंत तो कई बार अनिल विज ने मोर्चा संभाला। दुष्यंत को सदन के नेता के रूप में मुख्यमंत्री मनोहर लाल समेत आरएसएस के वरिष्ठ नेताओं ने अपने राजनीतिक कौशल का प्रदर्शन करने की हरी झंडी दी थी। दुष्यंत सबसे छोटी उम्र के नेता हैं, जिन्होंने सदन के नेता के रूप में कार्यवाही को अंजाम दिया।
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