Government is gradually eliminating farmers’ MSP, compensation and subsidy: Hooda
सत्य खबर,चंडीगढ़
पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बाजरा किसानों की दुर्दशा का मुद्दा उठाया है। हुड्डा ने बताया कि प्रदेश की मंडियों में एक बार फिर किसान का बाजरा औने-पौने दामों पर बिक रहा है। सरकार द्वारा कागजों में बाजरा की एमएसपी 2350 कर दी गई है। लेकिन किसानों को मुश्किल से 1700-1800 रुपये प्रति क्विंटल का रेट मिल रहा है। पिछले सीजन में भी किसानों का बाजरा एमएसपी से लगभग आधे रेट पर पिटा था।
उस वक्त प्रदेश सरकार की तरफ से ऐलान किया गया था कि एमएसपी से कम रेट में फसल बिकने पर सरकार भावांतर भरपाई योजना के तहत किसानों को अनुदान देगी। लेकिन ना सरकार ने पिछले सीजन में अपना वादा निभाया और ना ही इस बार ऐसा किया जा रहा है। जबकि सरकार की जिम्मेदारी है कि वो किसान की फसल का दाना-दाना एमएसपी पर खरीदे।Government is gradually eliminating farmers’ MSP, compensation and subsidy: Hooda
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भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार बार-बार अपने ही वादों से मुकर रही है। कई सीजन से लगातार मौसम की मार झेल रहे किसानों को आज तक भी मुआवजे का इंतजार है। जलभराव, ओलावृष्टि से लेकर बेमौसमी बारिश के चलते हुए फसली नुकसान की भरपाई के लिए ना सरकार आगे आई और ना ही बीमा कंपनियां। धान छोड़कर मक्का या अन्य फसल उगाने वाले किसानों को अब तक ₹7000 प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि नहीं दी गई है। पिछले सीजन में तो किसानों को डीएपी और यूरिया के लिए भी तरसाया गया। स्पष्ट है कि बीजेपी-जेजेपी सरकार किसानों के साथ दुश्मन की तरह व्यवहार कर रही है। लगातार किसान की एमएसपी, मुआवजे और सब्सिडी पर कैंची चलाई जा रही है।
हुड्डा ने बाजरा के साथ धान किसानों की मांग भी उठाई है। उनका कहना है कि मंडियों में धान की आवक शुरू हो चुकी है। धान के निर्यात पर रोक और 20 प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी लगाए जाने के चलते किसान अंतरराष्ट्रीय बाजार के ऊंचे दामों का लाभ नहीं ले पाएंगे। सरकार के इस फैसले के बाद आशंका है कि घरेलू बाजार में भी धान के रेट कम हो जाएंगे। ऐसे में मंडियों में 1 अक्टूबर की बजाए 20 सितंबर से धान की सरकारी खरीद शुरू की जानी चाहिए। ताकि किसानों को उनकी फसल का एमएसपी मिल सके।Government is gradually eliminating farmers’ MSP, compensation and subsidy: Hooda
साथ ही ‘मेरी फसल, मेरी ब्यौरा’ के तहत खरीद में सरकार द्वारा लगाई गई 25 क्लिंटल प्रति एकड़ धान की लिमिट को भी हटाया जाए। इसे बढ़ाकर कम से कम 35 क्विंटल प्रति एकड़ किया जाए। क्योंकि कैप लगाने से जो किसान प्रति एकड़ ज्यादा पैदावार ले रहे हैं, वो अपनी बची हुई फसल को एमएसपी से कम दाम पर बेचने के लिए मजबूर हो जाएंगे।Government is gradually eliminating farmers’ MSP, compensation and subsidy: Hooda
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