When Tau Devi Lal was stubborn with his own PM
सत्यखबर, ब्यूरो रिपोर्ट। इमरजेंसी के बाद साल 1977 के विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी ने 75 सीटों पर जीत हासिल की। विशाल हरियाणा पार्टी को 5 सीटों पर जीत मिली तो सात आजाद विधायक बने तो कांग्रेस तीन सीटों पर सिमट गई। हरियाणा के इतिहास में कांग्रेस को इससे कम सीटें न पहले कभी मिली और न ही बाद के चुनावों में। 21 जून 1977 को चौधरी देवीलाल ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उन्होंने शपथ लेते ही नारा दिया ‘भ्रष्टाचार बंद, पानी का प्रबंध। बंसीलाल पर कई के भी दर्ज हुए। अधिकांश में बेल हो गई। पर 24 अगस्त 1977 भिवानी के विजीलेंस के एसपी एक नोटिस के साथ बंसीलाल के घर पर पहुंचे। किसी फंड में घपले को लेकर एसपी ने उन्हें गिर तार किया और एक रात के लिए उन्हें लॉकअप में रखा गया।When Tau Devi Lal was stubborn with his own PM
अगले दिन हथकडिय़ां लगाकर बंसीलाल को अदालत में पेश किया गया। उन्हें एक खुली जीप में बाजार से ले जाया गया। दरअसल चौधरी देवीलाल एक तरह से बंसीलाल को अपनी ताकत का एहसास करवाना चाहते थे। देवीलाल किसानों के नेता के रूप में जाने जाते थे। ऐसे में उन्होंने ब्रिटिश शासन से चले आ रहे राजस्व कानून को बदला, जिससे मंझोले और छोटे किसानों को लाभ मिला। उन्होंने किसान के ट्रैक्टर पर लगने वाले टैक्स को भी माफ किया।
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जनवरी 1978 में चौधरी देवीलाल की कुर्सी डावांडोल होने लगी। जनता पार्टी के 75 में से 43 विधायकों ने पार्टी हाईकमान को चौधरी देवीलाल के खिलाफ एक ज्ञापन दे दिया। ऐसे में 29 अप्रैल 1978 को पार्टी हाईकमान ने देवीलाल को विश्वास मत जीतने को कहा। देवीलाल ने इसका विरोध किया। इन सबके बीच देवीलाल अपने विश्वासपात्रों के साथ चंडीगढ़ आ गए। उन्होंने अपने समॢथत विधायकों को मोरली हिल्स, सूरजकुंड और सोहना में रखा। 10 मई 1978 को चौधरी देवीलाल ने अपनी कैबिनेट बर्खास्त कर दी और चांद राम खेमे से मंत्री बनाकर दोबारा उसे रिफोर्म किया। 1978 में दोनों लाल खेमों से 38-38 विधायक थे और मैच ड्रा हो गया। इसके बाद भारतीय लोकदल के सुप्रीमो चौधरी चरण सिंह भी देवीलाल को सत्ता से दूर करने की जद्दोजहद में लग गए।
23 दिसबंर 1978 को चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन पर दिल्ली के बोट क्लब में किसान रैली रखी गई। तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने देवीलाल को रैली से दूरी बनाने को कहा। देवीलाल ने मना कर दिया। देवीलाल ने देसाई को दो टूक कह डाला वे पहले किसान हैं और चीफ मिनिस्ट बाद में। न केवल उन्होंने इस रैली में शिरकत की बल्कि रैली में देवीलाल ने भारी भीड़ भी जुटाई। यह एक ऐतिहासिक रैली रही और इस रैली के बाद तो देवीलाल पूरे देश में चर्चा में आ गए। अप्रैल 1979 में एक बार फिर से देवीलाल की सरकार गिराने की सुगबुगाहट शुरू हो गई।
इस बार 43 असंतुष्ट विधायकों ने पार्टी हाईकमान को देवीलाल के खिलाफ ज्ञापन देते हुए विश्वास मत साबित करने की बात कह दी। इन सबके बीच भजनलाल 40 विधायकों को अपने पाले में ले आए। भजनलाल इन सभी विधायकों को पहले दिल्ली में चांदराम के घर ले गए और उसके बाद भारत दर्शन पर चले गए। जनसंघ शासित राज्यों में विधायकों को भजनलाल सैर कराते रहे और तय समय के अनुसार वे सीधे 26 जून 1979 को चंडीगढ़ में पहुंचे। खास बात यह है कि करीब पंद्रह दिन तक भारत भ्रमण पर जाने वाले विधायकों के बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं थी। भजनलाल की ओर से चली गई इस सियासी चाल के आगे चौधरी देवीलाल बेबस हो गए थे। ऐसे में चोधरी देवीलाल ने भजनलाल के शपथ लेने से दो दिन पहले ही 25 जून 1979 को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया और ऐसे में 28 जून 1979 को भजनलाल हरियाणा के छठे मुख्यमंत्री बन गए।When Tau Devi Lal was stubborn with his own PM
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